हत्यारे
हत्यारे
"किसकी गलती कौन विचारे,
क्यूं जुगनू से दिखते तारे,
जो भविष्य हैं खुद भारत के,
सड़कों पर क्यूं हाथ पसारे ?
जो सबके भोजन उपजाए,
क्यूं वो खुद भूखा सो जाए,
बजट में बारिश काॅर्पोरेट को,
क्यूं किसान बस सूखा पाए ?
पढ़-लिखकर भी रहें बेचारे,
रोजगार के अवसर ना रे,
रिक्तियां सारी रोज घट रहीं,
जाएं कहां पर युवा हमारे ?
किस्मत इनकी, भूल खुदा की,
या शासन के हाथों हारे,
राष्ट्र के दोषी कौन है आखिर,
कौन है स्वपनों के हत्यारे ?