याद बहुत आता है अक्सर मुझको मेरा गांव, हरे भरे वो खेत बगीचे और बरगद की छांव.। याद बहुत आता है अक्सर मुझको मेरा गांव, हरे भरे वो खेत बगीचे और बरगद की छांव.।
लुट चुके विचारों के गाँव डाल चले लहरों पर पाँव लुट चुके विचारों के गाँव डाल चले लहरों पर पाँव
वह हँसी बहुत कुछ कहती थी, फिर भी अपने में रहती थी, वह हँसी बहुत कुछ कहती थी, फिर भी अपने में रहती थी,