आज भी नारी
आज भी नारी
आशा है निराशा है जीवन की परिभाषा है,
अम्मा हो या बहन बेटियां सबकी यह अभिलाषा है,
कब नर समझेगा नारी को जन्मों की प्रत्याशा है...
घर हो या बाहर हो हर पल जलती नारी है,
पर हम फिर भी समझ नहीं पाते हैं ये कैसी लाचारी है,
नियम कानून बने बहुतेरे पर हाथ लगी हताशा है....
आशा है निराशा है जीवन की परिभाषा है.......