आई कोंपलें
आई कोंपलें
यूँ यकायक
जागी संवेदनाएँ
टहनी के भीतर
फिर क्यों हुई
अजब सी बेचैनी
आई नयी कोंपल।
कोंपलें आई
मिला है अवसर
ठूँठ को हँसने का
उपेक्षित था
मिल गया बहाना
फिर उसे जीने का।
यूँ यकायक
जागी संवेदनाएँ
टहनी के भीतर
फिर क्यों हुई
अजब सी बेचैनी
आई नयी कोंपल।
कोंपलें आई
मिला है अवसर
ठूँठ को हँसने का
उपेक्षित था
मिल गया बहाना
फिर उसे जीने का।