प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
Abstract
प्यारा जहान
मन जहाँ उन्मुक्त,
हो हौसला बुलंद
बनती सीढ़ी,
होता छूना आसान
ये नीला आसमान।
छवि
दीप जो जला
माँ की याद मे...
गीत सुनाना
माटी के घर
शतरंज की चाल
माँ
छूना आसान
आई कोंपलें
लोग कहते माँ मुझे पर मैं बड़ी असहाय हूँ॥ लोग कहते माँ मुझे पर मैं बड़ी असहाय हूँ॥
जीवन बदल दिया । शब्द नाद ने ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया । जीवन बदल दिया । शब्द नाद ने ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया ।
शृंगार बालों का हुआ है, झूलती है चोटियाँ। चकले थिरक जाते खुशी से, बेलती जब बेटियाँ। शृंगार बालों का हुआ है, झूलती है चोटियाँ। चकले थिरक जाते खुशी से, बेलती जब बे...
मुझे मायका बनाना है अपनी ससुराल को मुझे मायका बनाना है अपनी ससुराल को
ओ जाना फिर मैं क्यों बदलूँ अन्त मे बस मैं यही कहूँगा ना बदला हूँ ना बदलूँगा। ओ जाना फिर मैं क्यों बदलूँ अन्त मे बस मैं यही कहूँगा ना बदला हूँ ना बदलूँ...
अपने बच्चे को गर्भनाल से अलग नहीं कर पाएगी। अपने बच्चे को गर्भनाल से अलग नहीं कर पाएगी।
तेरा बुत बनू और बंद रहूँ मंदिर के तालों में, तेरा बुत बनू और बंद रहूँ मंदिर के तालों में,
और मेरे अक्षरों में, तुम्हारे सुख को पलीता लगाते हुए तीखे सवाल हैं! और मेरे अक्षरों में, तुम्हारे सुख को पलीता लगाते हुए तीखे सवाल हैं!
तब राम का नाम जुबां पे आता तो है फिर भी वह सत्य को झुठलाता है तब राम का नाम जुबां पे आता तो है फिर भी वह सत्य को झुठलाता है
तेरे हर सवाल का जवाब देना बाकी है अभी, जिंदगी तेरा कर्ज़ चुकाना बाकी है अभी। तेरे हर सवाल का जवाब देना बाकी है अभी, जिंदगी तेरा कर्ज़ चुकाना बाकी है अभी।
रावण को देखा, फिर शीश झुकाया उसने बड़े प्यार से मुझे उठाया गले लगाया, मेरी पीठ थपथपाया रावण को देखा, फिर शीश झुकाया उसने बड़े प्यार से मुझे उठाया गले लगाया, मेरी ...
भक्तिमार्गी को राह मिलन की, 'काफ़िर' दिखला गया। भक्तिमार्गी को राह मिलन की, 'काफ़िर' दिखला गया।
अभी नहीं मालूम जीवन की कड़वी सच्चाइयां अभी नहीं मालूम जीवन की कड़वी सच्चाइयां
द्रौपदी की करुणा पुकार क्यों नहीं सुन पा रहे हो? द्रौपदी की करुणा पुकार क्यों नहीं सुन पा रहे हो?
अपने सतीत्व के लिए अग्नि परीक्षा देती हैं। न जाने कैसी होती हैं ये स्त्रियां ? अपने सतीत्व के लिए अग्नि परीक्षा देती हैं। न जाने कैसी होती हैं ये स्त्र...
आजादी का मतलब क्या है हम आप जानते हैं? आजादी का मतलब क्या है हम आप जानते हैं?
सृष्टि के संचालन में अहम् भूमिका है, एक पिता का होना ----------- सृष्टि के संचालन में अहम् भूमिका है, एक पिता का होना -----------
वो सिरहाने पड़ा सपना यह बड़ा शहर भी क्या चीज़ है ना ! वो सिरहाने पड़ा सपना यह बड़ा शहर भी क्या चीज़ है ना !
तब मन चल पड़ता है किसी ऐसे रिश्ते की ओर जिसका कोई वजूद ही नही दुनियाँ की नजर में... तब मन चल पड़ता है किसी ऐसे रिश्ते की ओर जिसका कोई वजूद ही नही दुनियाँ की नजर में....
वक्त का क्या मौका ये आए न आए, कि ढह चला है किला दरार के साथ। वक्त का क्या मौका ये आए न आए, कि ढह चला है किला दरार के साथ।