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प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

Abstract

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प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

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माँ

माँ

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माँ का आँचल

छँट जाते दुःख के

घने बादल।


ख़ुशियाँ लाती

तुलसी चौंरे में माँ

बाती जलाती।


छोटी दुनिया

पर माँ का आँचल

कभी न छोटा।


दुआएँ माँ की

ये अनाथों को कहाँ ?

मिले सौभाग्य !


लिखा माँ नाम

कलम बोल उठी

है चारों धाम।


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