प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
Drama
देखता रहा
नभ कागज पर
अद्भूत चित्रकारी,
हवा की कूंची
बादलों ने छाप दी
मनमोहक छवि।
छवि
दीप जो जला
माँ की याद मे...
गीत सुनाना
माटी के घर
शतरंज की चाल
माँ
छूना आसान
आई कोंपलें
खुशियों को पाने की कोई चाह थी, या बस, गमों से बचने की बेचैनी सी, खुशियों को पाने की कोई चाह थी, या बस, गमों से बचने की बेचैनी सी,
कंकरी मार के मटूकीया फोड़त। मुझे देख भागत श्याम..... कंकरी मार के मटूकीया फोड़त। मुझे देख भागत श्याम.....
जब मैं अपनी नम आंखों को सहेजते हुए लंबी सांस लेता हूँ जब मैं अपनी नम आंखों को सहेजते हुए लंबी सांस लेता हूँ
परंतु कुछ दर्द वक्त के साथ हमेशा के लिए हो जाते है परंतु कुछ दर्द वक्त के साथ हमेशा के लिए हो जाते है
हम भी तेरे प्यार में पागल, दुनिया चाहे जल जाये। हम भी तेरे प्यार में पागल, दुनिया चाहे जल जाये।
फिर कभी मिले, या ना मिले राहों पर ये मौका ये पल हमें नहीं खोना चाहिए फिर कभी मिले, या ना मिले राहों पर ये मौका ये पल हमें नहीं खोना चाहिए
मोर, कोयल और पपिहरा को, मधुर गान गवाता है मोर, कोयल और पपिहरा को, मधुर गान गवाता है
चार दिन की जिंदगी मिली है इसे लोगों को खुश रखने में यूं ही बर्बाद नहीं है करना। चार दिन की जिंदगी मिली है इसे लोगों को खुश रखने में यूं ही बर्बाद नहीं है करना।
धरर धरर धर धरती गाज़े, गड़ड़ गड़ड़ गड़ अंबर गाज़े।... धरर धरर धर धरती गाज़े, गड़ड़ गड़ड़ गड़ अंबर गाज़े।...
हर मोड़ पर नये सपने आते है रोज सामने हर मोड़ पर नये सपने आते है रोज सामने
दिल से तुझ को इश्क करता हूँ सज़ा भुगतने को भी तैयार हूँ, दिल से तुझ को इश्क करता हूँ सज़ा भुगतने को भी तैयार हूँ,
सारे नेता चोर है, किवाड़ लगाए रखे। सारे नेता चोर है, किवाड़ लगाए रखे।
मोहब्बत के दायरे में बेबस मेरे आज ने अपने कल को चुना था मोहब्बत के दायरे में बेबस मेरे आज ने अपने कल को चुना था
शायरी इसलिए भी करता हूं और कुछ भी मैं कर नहीं सकता शायरी इसलिए भी करता हूं और कुछ भी मैं कर नहीं सकता
माना की उलझनें बहुत है जिंदगी में, मगर फिर भी कुछ तो बात है जिंदगी में, माना की उलझनें बहुत है जिंदगी में, मगर फिर भी कुछ तो बात है जिंदगी में,
वैसे तो सितारों से भरा हुआ है आसमान मिला वैसे तो सितारों से भरा हुआ है आसमान मिला
तुम मैं आप यही लहजे है तबाह के पहले लक्षण चंद मुस्कुराहट में बिसरा दिये जाते गम के बाद तुम मैं आप यही लहजे है तबाह के पहले लक्षण चंद मुस्कुराहट में बिसरा दिये जाते ...
पर जीवन में खुशियों की जब बारी है आती पर जीवन में खुशियों की जब बारी है आती
मास आता श्रावण का घनघोर घटा उमड़ती है मास आता श्रावण का घनघोर घटा उमड़ती है
कितनी दूर चला आया हूँ मैं, ज़िंदगी की इस लम्बी यात्रा में, कितनी दूर चला आया हूँ मैं, ज़िंदगी की इस लम्बी यात्रा में,