माटी के घर
माटी के घर
1 min
877
पत्ते झरते
डाली छोड़ दी साथ
किसे कोसते।
भोर की दूब
पहन ओस मोती
फबती ख़ूब।
सुख सहज
दुःख के सफर का
चुकाता कर्ज।
भीड़ दिखावा
साथ यहाँ छलावा
चल अकेला।
माटी के घर
बेहद मजबूत
रिश्ते पकड़।