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प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

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प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

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गीत सुनाना

गीत सुनाना

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ओ री ! तू पाखी

बन जाए जो नीड़

तब गीत सुनाना।


पंख पसार

चोंच में ले तिनका

होंगे नव निर्माण

प्राची की दिशा

करते कलरव

तब गीत सुनाना।


बहती हवा

बन कर दुश्मन

उड़ा ले जाए नीड़

फिर भरना

हौंसले की उड़ान

नव नीड़ बनाना।


श्रम सीकर

बूँदें तू चख लेना

स्वाद फिर बताना

सृजन सिक्त

प्रीत बने मधुर 

तब गीत सुनाना। 


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