माँ की याद में
माँ की याद में
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माँ जो नहीं है
आँगन की तुलसी
मुरझा सी गयी है।
उसकी याद
सिलबट्टा भी अब
भूलता देना स्वाद
माँ जो नहीं है
मात्र स्मृति बची है
जब से वह गयी है।
चौंरे का दीप
चिढ़ा हुआ मुझसे;
हृदय जलाता है
बेनुर वक्त
माँ बिन ये जगत
सूना सा लगता है।
यादें उसकी
बस गयी हैं उर में
मुझे तड़पाती हैं
माँ जो नहीं है
आँगन की तुलसी
मुरझा सी गयी है।