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Neha Saxena

Fantasy

4  

Neha Saxena

Fantasy

आगमन शरद ऋतु का

आगमन शरद ऋतु का

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शीत ऋतु की घटा धरा पर

धुंध गगन पर छाई है


ओस की नम बूंदें पत्तों पर

प्रेम का सार लाई है


झाँके भास्कर जब पृथ्वी पर

अमृत सी बन वो आई है


बर्फ की चादर पड़े शैल पर

मन में उल्लास छाई है


कोयला डले जब अंगीठी पर

गरमाहट सी फिर आई है


रात्रि लंबी हों भोर दूर पर

चिड़ियों की आवाज आई है


बच्चों के शीतावकाश पर

नानी घर खुशियाँ छाई हैं


मौज मस्ती का मौसम भू पर

पहाड़ों में रौनक आई है


वर्षा की ठंडी ठंडी बूँद पर

सुख राज़ साथ ले आई है


खुली जो रहती रजाई घर पर

अंदर छिपाये हमको आई है


शीत लहर जब चले गगन पर

चुभन शूल सी लाई है


आगमन शरद ऋतु का है पर

जोश तो फिर भी लाई है।।


{Frosty fantasia}


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