"इश्क़ की होली"
"इश्क़ की होली"
रंग जाये मन रंग में किसी के,
तब-तब तुम्हारी होली है,
नशा घुला हो मौसम में जब,
समझो हवा में भाँग की गोली है,
दो नैनों ने दो नैनों संग,
जब खेली आँख मिचौली है,
बरसाने की उस राधा संग,
तब-तब खेली श्याम ने होली है,
हाथों से न रंग लगे जब,
मानो सांसें बनी अठखेली है,
तन-मन रंग जाये जब रंग में किसी के,
तब-तब तुम्हारी होली है,
वो रंग प्रेम के ज़ेहन में उतरे,
रंग लाल बना पहेली है,
हर रंग जब लगे इश्क़-रंग सा,
तब सजती दिलों की रंगोली है,
न सिर्फ एक दिन की रही ये होली,
हर दिन लगे अलबेली है,
साँसों से साँसों तक रंगी,
ये रंगीन दिलों की सहेली है,
इश्क़ की ये होली करती,
उन दो गालों को भी हथेली है,
जब-जब घुला हो साँसों में नया रंग,
तब समझो हुई तुम्हारी होली है!
