STORYMIRROR

Simpy Aggarwal

Romance

4  

Simpy Aggarwal

Romance

"लम्हे-पहली मुलाक़ात के"

"लम्हे-पहली मुलाक़ात के"

2 mins
359

अबतक एक ही दफ़ा देखा है आपको,

या शायद उस दिन भी तसल्ली से देख न पायी,

नज़रें आपकी मुझ पर से हटी नहीं,

और मैंने शर्मों-हया में अपनी नज़रें न उठायी!


पर हाँ सच है ये भी,

इक पल जो आपसे नज़रें मिलायी,

इश्क़ हो गया है आपको मुझसे,

ये ख़बर उन आँखों ने मुझ तक पहुँचाई!


वो पानी का गिलास याद है,

सचमुच बड़ी प्यासी थी मैं,

पर उस दिन सिर्फ गले की नहीं,

दिल की प्यास बुझ गयी थी मानों,

जब इत्तेफ़ाक़ से ही आपने मुझे भर कर दिया था!


शायद अपने ध्यान दिया नहीं,

उस बोतल का सारा पानी,

मैंने ही खत्म किया था,

करती भी कैसे नहीं,

मेरे लिए आपने पहली दफा कुछ किया था,

उस पल मुझे बड़ा ही ख़ास महसूस हुआ था!


न भूख लगी थी हम दोनों को ही,

तीखा सब कुछ लग रहा था,

शायद मिठास सिर्फ एक दूजे में ढूंढ जो ली थी,

एक दूजे के आगे हर पकवान फीका लग रहा था!


बातें खूब हुई एक ही मुलाक़ात में,

लगा ही नहीं मुलाक़ात वो पहली है,

कुछ तो बात थी हमारी उस बात में,

आओ न दोहरायें वो दिन फिर से,

इस बार चलेंगे दोनों साथ में!


पहली मुलाक़ात तस्वीरों में सिमट गयी,

मेरे दिल के ज़र्रे-ज़र्रे में लिपट गयी,

वो मुझे साड़ी में देख मुस्कराहट आपकी,

आँखों से उतर मेरी रूह में बस गयी!


वो काजू-कतली भी याद होगी न,

पहली बार अपने हाथों से कुछ खिलाया आपने,

आपकी उँगलियों का मेरे लबों को छूना,

महसूस किया था मैंने,

क्यूँकि पहली दफ़ा एक लड़के को,

अपने पास बैठने का हक़ दिया था मैंने!


वो ख़ुशी आपकी मुझे खिलाने की,

झलक रही थी आपके चेहरे पर,

पर उतर रही थी दिल में मेरे,

आपका वो स्पर्श अब भी,

रहता है मुझे हरदम घेरे!


हमारी उस पहली मुलाक़ात ने,

इस कदर हमारे दिल छूए,

बतलाती निगाहों में डूबकर यूँ,

दो अनजान लोग एक दूजे की जान हुए!


मेरा हाथ थामा जब आपने,

पहनाने को अपने प्यार की निशानी,

धड़कनें मेरी बढ़ सी गयी,

उसी पल मैं भी होगयी आपकी दीवानी!


14 अप्रैल 14 फ़रवरी सी हुई,

बिन बोले अपने दिल की बात जब,

आपने अपनी आँखों से कही!


प्यार का इज़हार एक दफ़ा और कीजियेगा,

तोहफ़ें में मुझे वही दिन फिर जीने दीजियेगा!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance