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Simpy Aggarwal

Romance

4  

Simpy Aggarwal

Romance

"गैरों की कश्ती में बैठे..."

"गैरों की कश्ती में बैठे..."

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सुर: (आपकी नज़रों ने समझा, प्यार के काबिल मुझे,

दिल की ए धड़कन ठहर जा, मिल गयी मंज़िल मुझे,

आपकी नज़रों ने समझा...)

.... 


गैरों की कश्ती में बैठे, सैर यूँ न कीजिए,

हाल-ए-दिल क्या है जनाब, हमसे साझा कीजिए,

गैरों की कश्ती में बैठे...


हाँ मुझे एतराज़ है, कैसा है ये सिलसिला,

दिल है टूटा इस कदर, कौन समझे ये गिला,

आहें भर-भर रो रही, रूह न रुसवा कीजिए,

हाल-ए-दिल क्या है जनाब, हमसे साझा कीजिए,

गैरों की कश्ती में बैठे...


मुस्कराहट आपकी मैं, मेरी ख़ुशियाँ आप हैं,

क्यों सितम ये मैं सहूँ, मेरे नैना आप है,

आओ इन नैनों में देखो, गैर यूँ न कीजिए,

हाल-ए-दिल क्या है जनाब, हमसे साझा कीजिए,

गैरों की कश्ती में बैठे...


मिल गयी है दिल को मेरे, कैसी ये तन्हाईयाँ,

भीड़ में भी ग़ुम है दिल, खो गयी परछाइयाँ,

साँसों का है साथ अपना, अलविदा न कीजिए, 

हाल-ए-दिल क्या है जनाब, हमसे साझा कीजिए,

गैरों की कश्ती में बैठे...


 


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