STORYMIRROR

Neha Saxena

Abstract

4  

Neha Saxena

Abstract

नंद को लाल

नंद को लाल

1 min
286

श्यामल रूप है,नंद को लाल है

मोर मुकुट संग, पायल झंकायो है।

नटखट अठखेलियों से, गोपियाँ रिझायो है।

माखन खायो है, रास रचायो है।


यमुना नदी किनारे, बंसी बजायो है।

मटकियाँ फोड़त है, गौये चरायो है।

घर - घर जाए के, माखन चुरायो है।

मैया के डाँटन पर, झूठ खूब बोलयो है।


मीठी - मीठी बातों में, सबको फँसायो है।

मिट्टी जब खाये तो, ब्रह्मांड दिखायो है।

पालना में झूलकर, राक्षस भगायो है।

मैया के बाँधन पर, रो कर दिखायो है।


संकट जब आयो है, गोबर्धन उठायो है।

गोकुल का श्याम ये, मथुरा से आयो है।

बाल्य अवस्था में, खूब खेल दिखायो है।

मित्रों के संग-संग, वस्त्र भी चुरायो है।


मुरली की तान से, राधा बुलायो है।

नटखट शैतानियों से, मन को लुभायो है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract