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V. Aaradhyaa

Classics Fantasy Inspirational

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V. Aaradhyaa

Classics Fantasy Inspirational

अद्यात्म

अद्यात्म

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जग के अथाह, लहरों के बीच,

तट का नाविक, कर्म जीवन है!

माया है यह आद्यात्म का दर्शन है 

प्रकृति प्रदत्त कर्मो का है बंधन !


प्रत्येक व्यक्ति को प्रकृति से मिलता

अर्जित गुणों के अनुसार कर्मों का हिसाब

ऐसे कर्म करें हम सब मिल जुल कर

स्वर्ग नरक का भेद मिंटे खुशियां छायें


स्वधर्म पालन करे गीता का सार कर्म का

क्या लेकर जग में लुट गया तुम्हारा

क्या लेकर जाना है जो छूट गया तुम्हारा

कर्म की गठरी बांध कर लाये थे

अब वापस उन कर्मों का हिसाब


लौट कर तुम्हें ले जाना है वन्दे

लोभ, मोह का त्याग करे हम सब

दया ममता का उपहार जग हरषाये

मन में स्वाभिमान का भाव भरा हो

लेकिन उसमें पर उपकार का आधार रहे,

निस्वार्थ कर्म सेवाभाव का ध्यान बना रहे

जो देगा वही लौट कर आये गा वरदान !


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