आॅंगन
आॅंगन
न बच्चों की किलकारी,
न रहा अब वो बचपन।
न मस्ती भरी क्यारी,
खत्म हो गया आँगन।
न रही रिश्तों की गठरी,
न रहा वो अपनापन।
न खटिया वो पुरानी,
खत्म हो गया आँगन।
न रहीं बातें विश्वास की,
न भोजन में वो आनंद।
न रही महफिलें पुरानी,
खत्म हो गया आँगन।