शादी का पहला सावन
शादी का पहला सावन
शादी का पहला सावन
श्रेणी : मानसून फेस्टिवल
दरवाज़े पर लगातार कॉल बेल बज रही थी, मिनी ने दौड़ कर दरवाज़ा खोला, सामने वरुण खड़े थे।
"अरे कहाँ खोई हुई थीं" डरा ही देती हो तुम मुझे, कितनी देर से बेल्ल बजा रहा था।
'हां' सॉरी, जरा आंख लग गयी थी, मिनी ने झेंपते हुए कहा।
ओह, इतना सुहाना मौसम और हमारी बेगम सोएं तो गलती हमारी हुई न, चलो झटपट तैयार हो जाओ, कहीं घूमने चलते हैं।
आज मिनी की शादी हुए 4 महीने ही हुए थे ।वरुण डी आर डी ओ में साइंटिस्ट थे और बहुत सुलझे हुए इंसान थे। उन दोनों की अरेंज्ड मैरिज हुई थी, शुरू में मिनी शादी ही नहीं करना चाहती थी वो पढ़ी लिखी, बी टेक एम बी ए एक खूबसूरत लड़की थी। अपने माँ बाप का झगड़ा उसने बड़े करीब से झेला था और उसे जैसे सारे मर्दों से एलर्जी हो चली थी। किसी तरह उसके मां के लगातार प्रयासों और बड़ों के आशीर्वाद से उसकी शादी वरुण से हुई जिन्होंने धीरे धीरे उसके दिमाग से आदमियों के लिए बैठे डर और गुस्से को निकाला ।
मिनी यूँ ही बैठी कब अतीत के गलियारे में पहुंच गई उसे समझ न आया। मिनी की आंख खुली तो घर में उसके पापा की चीखने की आवाजें आ रही थीं वो उसकी मां को डांट रहे थे और मां चुपचाप नीची आंख किये हमेशा की तरह खड़ी थीं।
किस बात पर पापा गुस्सा कर रहें हैं ये तो उसे समझ न आया पर रोज रोज की इस किचकिच से उसे बहुत चिढ़ होती। उसके पापा आये दिन मम्मी को ज़लील करते, उनमें कमियां निकलते और नन्ही मिनी का खून उबलने लगता।
पहले वो कुछ समझती न थी पर धीरे धीरे उम्र बढ़ने के साथ उसे सब समझने आने लगा था। उसकी मम्मी टॉपर, हर काम काज में दक्ष, एक शांत, सरल स्वभाव की लड़की थीं।
शुरू में दादी, बुआ को हमेशा मम्मी को ताने मरते देखा और अब पापा भी अक्सर मम्मी को आड़े हाथों लेते।
जब पापा घर न होते मिनी अपनी मम्मी से कहती, 'आप चुपचाप क्यों सुनती हो सब जवाब क्यों नहीं देतीं' मम्मी उसे चुप देतीं-बेटा, लड़कियां ऐसा नहीं बोलतीं।
"क्यों" वो गुस्से और बेबसी से पूछती
इस "क्यों" का जवाब मम्मी कभी न दे पातीं।
त्योहार आते, आसपास सब लोग सजते संवरते, हंसी खुशी मनाते पर मिनी के घर वो ही माहौल। न तो उसने अपने पापा को मम्मी के लिए कभी कुछ सामान लाते देखा न कभी मम्मी और उसे कहीं घुमाते ही देखा।
मम्मी उससे कहतीं, आ बेटा तेरे हाथ पर मेहँदी लगा दूं, खुद रात में सारे काम निबटा के मेहंदी का एक गोल "ठप्पा" सा लगा लेतीं।
वो चिढ़ जाती, क्यों लगानी है मेहंदी
मां कहती, "शगुन होता है बेटा" सभी लगाते हैं
मिनी चिड़चिड़ा उठती, सब तो और भी बहुत काम करते हैं, आप करती हो?
उसने देखा था कैसे बुआ, चाची नख शिख सिंगार कर घर आतीं थी त्योहारों पर। पापा का व्यवहार उस समय बहुत सामान्य रहता, सारे रीति रिवाज़ उन्हें ध्यान रहता पर बात अगर मम्मी या उसकी होती वो साफ कन्नी काट जाते।
मुझे इन त्योहारों से बहुत चिढ़ है, पापा का ये वाक्य छोटी सी मिनी सुनते सुनते बड़ी हुई थी। अब उसे समझ आने लगा था कि पापा कितना दोगला व्यवहार करते थे।
आज मिनी के मामा के लड़के की शादी थी। उसकी मौसियां, मामियां सब खूब सजे धजे दिख रहे थे पर मिनी की मम्मी सादगी से तैयार हुई थीं। ऊपर ऊपर वो सब से हंस के मिल रहीं थीं पर मिनी इस हंसी के पीछे छिपे दर्द को आसानी से पढ़ पा रही थी।
शादी से लौटते हुए गाड़ी में पापा मम्मी से कह रहे थे,बस ये दिया है तुम्हारे भाई ने, इकलौते बेटे की शादी में बुआ फूफा का ये सम्मान, अरे मैं तो तुम फटीचरों के घर जाना ही नहीं चाहता था। मम्मी आंख झुकाये बैठी रहीं। मिनी का मन हुआ या तो चलती गाड़ी से वो उतर जाए या पापा को बाहर कर दे ,कितनी घुटन होती है ऐसे आदमी के साथ।
बचपन से जवानी की यादें मिनी की आंखों में अश्रुधारा बन बह निकलीं कि वरुण ने पीछे से आकर उसे चौंका दिया।
अरे मेरी प्यारी वाइफ क्यों इतनी सेंटिमेंटल हो रही है, कुछ ख़ता हुई बंदे से क्या, वो शरारती लहज़े में बोला।
मिनी सकपका गयी, खिसिया के मुस्कराई, बोली लगता है आंख में कचरा गया है।
चलो अब जल्दी से तैयार हो, ये हमारी शादी का पहला सावन है, मां का जयपुर से फ़ोन आया था कह रहीं थीं, मेरी प्यारी बहुरानी को मेरी तरफ से खरीदारी करवा देना और हां ध्यान रहे उसे शिकायत का कोई मौका न देना, नहीं तो तुम्हारी खैर नहीं।
मिनी मुस्कराई ,मां ने मुझे भी फोन किया था।
दोनों लव बर्ड थोड़ी देर में इंडिया गेट के पास बांहों में बांहें डाले मज़े से घूम रहे थे। रिमझिम फुहारों में भुना भुट्टा नमक निम्बू लगा हुआ मुँह में रस घोल रहा था। चारों ओर काफी भीड़ और कोलाहल था पर वो दोनों सब से बेखबर अपने में ही खोये हंसी चुहल करते, गुनगुनाते कनॉट प्लेस आ गए।
आज शायद पहली बार मिनी ने वरुण के कहने पर जमकर खरीदारी करी,वरुण की पसंद की लाल हरे रंग की मनभावन चूड़ियां, लाल बॉर्डर वाली गुलाबी सिल्क की साड़ी और न जाने क्या क्या।वो न न करती रही पर वरुण था कि उसकी एक न सुनी। उसके अधिकार दिखाने में मिनी को उसका प्यार और अपनत्व दिख रहा था और उसके अंदर मानो कुछ पिघल रहा था।
"चलो भेल खातें है" चटपटी भेल खा दोनों हँसने लगे, वरुण की आंखों से पानी बहने लगा मिर्च से शायद, मिनी जल्दी से आइसक्रीम ले आयी। दोनों ने बहुत मस्ती की।
मिनी को आज अपनी मम्मी बहुत याद आ रहीं थीं। बचपन से लेकर आज पहली बार उसे समझ आया था लड़कियां सावन का इतना इंतजार क्यों करती हैं और शादी के बाद का पहले सावन का तो कहना ही क्या? वो मन ही मन लजा गयी।