बड़ा कौन ?
बड़ा कौन ?
एक बार एक ब्राह्मण,बड़ी खुशी,खुशी एक सुंदर,स्वस्थ गाय लेकर जंगल के रास्ते होकर जा रहा था।उसी रास्ते तीन अन्य व्यक्ति, जो शायद ठग थे,उसे आते देख ,युक्ति बनाने लगे कि आज इस ब्राह्मण को ठगते हैं।
योजना अनुसार तीनों थोड़ी थोड़ी दूर पर जा कर बैठ गए।
जैसे ही ब्राह्मण देवता पहले वाले ठग के पास से निकले,वो बोला:नमस्ते जी,कहाँ जा रहे हैं,आपकी बकरी तो बहुत सुन्दर है।
ब्राह्मण चौंकते हुए बोला:अरे भाई,ये बकरी नहीं,गाय है।
ठग:क्या बात करते हैं,ये तो बकरी है,आप चाहो तो किसी से भी पूछ लो।
ब्राह्मण को बड़ा अजीब सा लगा,सोचा ,शायद ये आदमी कोई पागल हो,वो आगे बढ़ गया।
थोड़ी दूर आगे गया ,दूसरा ठग मिला।
ब्राह्मण बेचैनी से उसके पास को आया और दोनों ने राम राम करी।ब्राह्मण के पूछने पर उसने भी उसकी बकरी की बड़ी प्रशंसा करी।
ब्राह्मण ने गौर से अपनी गाय देखी,उसे आश्चर्य हुआ ,आज लोगों को क्या हो गया,ये पागल है या मैं खुद ही भृमित हूँ।
दिमाग मे सन्देह हो जाने पर आदमी को बेचैनी बढ़ जाती है,वो ही हाल उस ब्राह्मण का हो रहा था
बेमन से वो आगे बढ़ा कि तीसरा ठग रास्ते में मिला,उसने ब्राह्मण को प्रणाम किया और उसकी बकरी की बड़ी तारीफ की।
अरे बड़ी स्वस्थ,सुन्दर बकरी है,कहां से खरीदी ब्राह्मण देवता,मुस्कराते हुए वो बोला
अब तो ब्राह्मण का धैर्य जबाव दे चुका था,उसने बताया कि पड़ोस के गांव में उसने जमींदार के घर बहुत बड़ी पूजा कराई थी उसने उपहार स्वरूप ये बकरी उसे गाय कहकर दे दी।बताओ उसके साथ कितना बड़ा धोखा किया गया।
उसे निराश देख कर वो ठग बोला:अरे तो ये बकरी भी अच्छी है,इसका दूध पीना अब आप।
ब्राह्मण ने कहा:नहीं ,मुझे ये नही चाहिए,मैं तो इसे बेच दूंगा।
उस ठग ने कहा:आप चाहो तो मुझे ही बेच दो,लेकिन मेरे पास ज्यादा रुपये नही है।
ब्राह्मण को बहुत निराशा हुई,फिर भी उसने कम दामों में ही वो गाय/बकरी उस ठग के हाथों बेच दी।
थोड़ी आगे चला तो एक आदमी जो बह
ुत देर से उसकी सारी बातें चुपचाप देख रहा था,उस ब्राह्मण से बोला:ये तीन ठग हैं और आपस मे मिले हुए हैं जिन्होंने आपको ठग लिया।
ब्राह्मण को काटो तो खून नहीं।पल भर को वो जड़ समान हो गया।इतनी बेबकूफी तो शायद उसने कभी न की थी अपनी पूरी जिंदगी में।
थोड़ी ही देर में वो चैतन्यपूर्ण हो गया और कुछ योजना मन ही मन बना के तेजी से चलता हुआ उन तीनों ठगों के पास गया।
अरे भैया,आपको एक बात बताने तो मैं भूल ही गया,वो बोला।
पहले तो वो कुछ क्षण को उसे इस तरह सामने देख के सकपका गए,जैसे उनकी चोरी पकड़ी गई हो पर फिर सामान्य होते हुए बोले:कहिये ब्राह्मण देवता,आप क्या कहना चाहते हैं?
ब्राह्मण बोला:अरे जमींदार ने इस बकरी को मुझे देते हुए कहा था,ये एक शापित जानवर है जो अपने मालिक को नुकसान पहुंचाएगी अगर वो कुछ पूजा पाठ या यज्ञ,दान दक्षिणा नही करेगा।अभी वो करना शेष है।
ठगों ने सोचा:बात तो शायद ठीक है,तभी तो ब्राह्मण को भी इतनी मंहगी गाय के इतने कम दाम मिल पाए।ठीक है ,ये तो ब्राह्मण है इससे ही कुछ उपाय पूछते हैं।
अपने जाल में उन्हें फंसता देख,ब्राह्मण मन ही मन मुस्काया और उन्हें एक लंबी लिस्ट पकड़ा दी पूजा की,कितना लम्बा चौड़ा ब्यौरा दे दिया दान दक्षिणा का,और उन्हें चेताया कि ये सब करे बिना इस को ले जायोगे तो अशुभ फल होंगे।
ठग परेशान हो सोचने लगे,इतना तो इस गाय का फायदा भी न होगा जितना खर्च करना पड़ेगा,उन्होंने उस ब्राह्मण से विनती की कि कृपया आप इस को हम से वापिस खरीद लें।
अब बारी ब्राह्मण की थी,मोल भाव करने की,बड़ी मुश्किल से उस दाम के आधे दाम पर वो पुनः उस को खरीदने को तैय्यार हुआ।
ठगों ने चैन की सांस ली कि इतनी बड़ी मुसीबत से आखिर छूट ही गए।
दूसरी तरफ,ब्राह्मण मन ही मन मुस्करा रहा था,बड़े धूर्त बने फिर रहे थे पर विद्वता के आगे किसी की धूर्तता नही चलती।ज्ञान की दौलत से जो सम्पन्न होता है उसके लिए किसी और दौलत की जरूरत नही होती,वो उससे सब कुछ हासिल कर सकता है।