Sangeeta Agarwal

Comedy

4.5  

Sangeeta Agarwal

Comedy

कीमती सलाह

कीमती सलाह

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एक बार एक नगर कोतवाल,जिनकी दो बीबियाँ थीं,बड़ी रुखसाना बेगम और छोटी शकीला बेगम में ठन गयी और विवाद इतना बढ़ गया कि समस्या दिनोदिन बढ़ती ही जाए।


अब मैं आपको बताती हूँ कि समस्या कहाँ से शुरू हुई।दरअसल ईद पास आ रही थी,कोतवाल की दोनों बीबियाँ खरीदी करने बाज़ार पहुंचीं।काफी समान कपड़े,लत्ते ले लिए तो ज्वेलर्स के पहुंचीं।


वहां का प्रसिद्ध ज्वैलर था,रघुनंदन सर्राफ।बड़ी आवाभगत की दोनों की उसने।दोनों ही हीरों का नायाब हार देखना चाहती थीं।एक हार बड़ी बेगम को समझ आया ,उन्होंने उसे अलग रखवा दिया और दूसरी डिज़ाइन देखने मे व्यस्त हो गईं,इधर दूसरी बेगम कुछ अंगूठियां,कान के झुमके पसंद कर चुकी थीं,अब हार देखने शुरू किए।

बहुत देर तक उन्हें कुछ समझ नही आया,फिर अलग रखे हार की तरफ उसकी निगाह गयी और उसने झट उस हार को अपने लिए खरीद लिया।


ज्वैलर का बड़ा लड़का उस समय वहीं बैठा ये सब देख रहा था,उसने कहना चाहा,ये तो इन्होंने (रुखसाना बेगम)अलग निकलवा रखा है,दूसरी बेगम की तरफ इशारा कर उसने कहा।


शकीला बोली,पर लेने का निर्णय तो मेरा है पहले।बस दोनों में इसी बात पर ठन गयी,दुकानदार बड़ा परेशान,उसने लाख दूसरे सुंदर डिज़ाइन दिखाए पर दोनों का मन उसी इकलौते हार पर आ गया।बात इतनी बढ़ गयी कि कोतवाल तक पहुंच गई।कोतवाल ने दोनों को समझाना चाहा पर उन्होंने तो जैसे रार करने की ही ठान रखी थी।


आखिरकार,हार मान के कोतवाल ने सोचा,वहां ज्वैलर के यहां किस आदमी के सामने ये घटना हुई है,उसे तलब करता हूँ,वो बताएगा गलती किस की है और हार नियमानुसार किसे मिलना चाहिए।

उसने रात में ही अपने नौकरों को सेठ रघुनंदन के घर भिजवाया दिया क्योंकि उसे पता चला कि उसका बड़ा बेटा उस वक्त दुकान पर मौजूद था।


इतनी रात में नगर कोतवाल के नौकरों को इस फरमान के साथ हाजिर हुआ देख कर ज्वेलर घबरा गया।अगले दिन सुबह 10 बजे कोतवाली में हाजिर होने का आदेश मिला था उसके बेटे को।


उसकी तो रातों की नींद गायब हो गयी,आज तो मेरा बेटा,बेमौत मारा जाएगा,जिस बेगम के पक्ष में अपनी राय देगा,दूसरी उसके खिलाफ हो जाएगी और किसी कीमत पर भी न छोड़ेगी,वो जानता था।


उसकी पत्नि ने उसे याद दिलाया कि पड़ोस में ही एक आदमी ने कुछ समय पहले एक दुकान खोली है और वो सलाह बेचता है,क्यों न उससे कुछ सलाह खरीद लें।

ज्वैलर हमेशा ये बात सुनकर हँसी बनाता था कि सलाह भी बेची जाती हैं भला,पर आज मुसीबत में वो कुछ भी करने को तैय्यार था।


रात में ही जा पहुंचा उस व्यक्ति के पास और हाथ जोड़कर अपनी समस्या बताई।

पहले तो उसने अगले दिन आने को कहा पर बात की नज़ाकत को जानते हुए वो राजी हो गया,बोला:कितनी वाली सलाह चाहिए,2000 रुपये वाली या 10,000 रुपये वाली।

ये क्या गोरखधंधा है,ज्वेलर बोला,सलाह तो सलाह है,इसमें भला क्या फर्क है?


वो आदमी बोला:एक कुछ दिन की निश्चिंतता देगी,दूसरी हमेशा को मुक्त कर देगी।


ज्वैलर ने मन ही मन सोचा:अरे,हम ज्वेलर्स हैं,हमें बेबकूफ बनाएगा जो सबको चूना लगते हैं,तुम हमें 2000 वाली ही दे दो।


उस आदमी ने कहा:जब कोतवाल तुम्हारे बेटे से कुछ भी पूछे तो पहली बार जो बोले ,एकदम जल्दी ही दूसरी बात बोलने लगे।


ज्वैलर ने आश्चर्य से कहा:पर इससे क्या होगा?


वो बोला:इससे ये होगा कि कोतवाल को लगेगा,ये लड़का पागल है,इसकी बात की कोई अहमियत नहीं,पागल की दलील किसी कोर्ट में नही मानी जाती और वो तुम्हारे लड़के को छोड़ देंगे।


अगले दिन कोतवाल के सामने वही हुआ जो कहा गया था,कभी वो छोटी बेगम ने पहले पसन्द किया कहता तो कभी बड़ी ने।

झुंझला के कोतवाल ने उसे छोड़ दिया।पर समस्या तो जस की तस बनी रही।उसके किन्ही विश्वस्त आदमियों ने बताया कि ये ज्वेलर का लड़का वाकई में ऐसा नही है ये नाटक कर रहा था।


कोतवाल के गुस्से का ठिकाना न रहा,उसने दो एक दिन में फिर अपने आदमियों को ज्वेलर के यहां भेज दिया उस लड़के को बुलाने हेतु,उधर वो ज्वेलर चैन की सांस भी न ले पाया था कि कोतवाल के आदमी फिर आ धमके।


मरता क्या न करता,जा पहुंचा दुबारा सलाह लेने उस व्यक्ति के पास,भैया,आप 10,000 वाली सलाह बताओ।


उसने मुस्कराते हुए कहा:आप तो ज्वैलर हो,झट वैसा ही दूसरा हार बनवा दो अपने कारीगरों से और नगर कोतवाल को चाहो तो भेंट कर दो,कम से कम लड़के की जान तो बचेगी।फिर नगर कोतवाल तुमसे खुश हो जाएगा,कितने काम तो तुम्हारे मुफ्त करवा देगा।


ज्वेलर की आंखों में चमक आ गयी और वो सोचने लगा कि ये बात भला मेरे दिमाग में क्यों न आई?


लेकिन कुछ भी हो ,ये सलाह खरीद कर वो इतनी बड़ी मुसीबत से बाहर तो निकल ही चुका था।



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