Sangeeta Agarwal

Others

4  

Sangeeta Agarwal

Others

एलर्जी

एलर्जी

4 mins
295


वन्या को हरीतिमा,से,फूल पत्तियों,प्रकृति से बहुत प्यार था,थी भी वो गांव की पृष्ठभूमि से,अब भले ही कितने वर्षों से शहर में पढ़ रही थी पर आज भी, दिल उसका अपने घर की हरी भरी वादियों में ही भटकता था। भगवान भी कैसे कैसे मेल बनाता है,शिव से उसकी ,कहने को तो लव मैरिज थी ,पर वो इन फूल,पौधों को बिल्कुल पसंद न करता।पसन्द न करना भी अलग बात होती वो तो इनसे चिढ़ता ही था। कभी भूले से भी वन्या,अपने दोनों के प्यारे से ,सुन्दर घर में कोई फुलवारी बनाना चाहती,यहां तक कि एकाध पौधा ही रखना चाहती ,शिव भड़क जाता।मना किया न तुम्हें एक बार,बात समझ नही आती क्या?

वो गुस्से से एक बार कहता,और वन्या,कई दिनों तक मन ही मन किलस्ती रहती,ऐसे उसके संस्कार नहीं थे कि इन छोटी मोटी बातों पर घर की शांति भंग करे। अक्सर उसके मन मे ये विचार आता कि ये घर में सुकून और शांति की जिम्मेदारी सारी औरतों के हिस्से में ही क्यों बना दी समाज ने।उसकी सखी रचना भी,उसके शहर में ही आ गई थी,उसके पति का सरकारी आवास था,काफी बड़ा बंगला था उनका, उस दिन लंच पर वो रचना के घर गई तो उसकी बगिया देख कर मन प्रफुल्लित हो उठा... बच्चों की तरह चहक के बोली:अहा कितना सुंदर...दिल करता है कि यहां से जाऊं ही न।

बेला,गुलाब,गेंदा,सूरजमुखी,डहेलिया,कितने फूल थे,दूसरी तरफ,धनिया पुदीना,एलोवेरा,तुलसी जैसी कितनी हर्ब्स उगा रखी थीं उसने,सब्जियों के लिए अलग जगह थी।

वन्या,ने वहां से लौटकर फिर ज़िद की थी शिव से उस दिन,और एक बार फिर दोनों का जोरदार झगड़ा हुआ। शिव ,मेरी बाकी सभी बातों का ख्याल रखते हैं पर पता नहीं ये सुनकर क्यों भड़कते हैं?वो अक्सर सोचती।वो जानती थी कि आजकल तो लोग कितने ही पौधे अपने ड्राइंग रूम में भी रखते हैं जिनसे पर्यावरण शुद्ध रहता है।ये तो हर कोई जानता है कि पेड़ हमारी छोड़ी हुई कार्बनडाई ऑक्साइड को सोख कर हमें ऑक्सीजन देते है फिर भी...

उस दिन,रचना उसके घर आई,बातों बातों में उसने बताया,कि उसकी तरफ बंदरो का आतंक बहुत ज्यादा है,उसकी सारी क्यारी उजाड़ दी उन्होंने...

जब वन्या ने बताया कि हमारी तरफ तो नहीं आते बंदर, तो वो खुशी से बोली:फिर तुम क्यों नहीं लगाती ये सब,तुम्हे तो बहुत शौक था।

वो खिसिया गई कि अब इसे क्या बताऊँ,कि बंदर कितने प्रकार के होते हैं,जरूरी नहीं वो सबको दिख ही जाएं।कुछ दूसरे तरह के बंदर भी होते हैं जो आपको दूर से ही घुड़काये रखते हैं।

वक्त बीतता जा रहा था,जैसे जैसे वन्या और शिव की उम्र बढ़ रही थी,शिव को अहसास होता कि वो वन्या को बिना बात इतनी रोक टोक करता है,जहां पहले वो हमेशा उसे ,जब भी वो किसी फूल खरीदने,लगाने की ज़िद करती तो वो उसे उसका आर्टिफिशियल फ्लेवर वाला परफ्यूम,साबुन,टेलकम पावडर दिलवा देता था,वहां अब वो धीरे धीरे उसे कुछेक पौधे लगाने देता।

वन्या,खुश थी कि अब उसके आंगन में बड़े से गमले में एक तुलसी जी का भरापूरा सुन्दर पौधा था जिसकी वो सुबह शाम पूजा करती,दिया जलाती।

इसके अलावा,कुछ दवाइयों वाली बेल लताएं जैसे गिलोय,एलोवेरा,करी पत्ता,मीठी नीम,लेमन ग्रीन ग्रास जैसे पौधे उसने उगा लिए थे।

इस बार की गर्मियों में,वायरल फीवर बहुत फैला था,सारे शहर में कोई घर ऐसा न था जहां एकाध आदमी इससे पीड़ित न हो।

और शिव उस दिन आफिस से लौटा तो उसका बदन जल रहा था,झटपट क्रोसिन लेकर वो बिना खाये सो गया पर अगले दिन भी उसका बुखार उतरने का नाम ही न ले रहा था।

डॉक्टर ने कहा,कम से कम पांच दिन तो इसका असर रहेगा ही,लगातार एन्टी बियोटिक्स लेते रहने और बुखार के चलते वो बहुत कमजोर हो गया था,वन्या की बहुत जिद पर उस दिन पहली बार,उसने वन्या का घर की औषधि से बना काढ़ा पिया,और उसे पहली बार चैन की नींद आई।

अगले दिन बुखार,थोड़ा कम था,वन्या ने तुलसी अदरक की चाय दी,उसका मुंह बहुत कड़वा हो रहा था,उसने घर की बगिया से तोड़े धनिया-पुदीना,हरी मिर्च की चटनी संग खाना खिलाया,लेमन टी पिलाई,नीलगिरी और यूकिलिप्टस के पत्तों की भाप दिलाई और अगले चंद दिनों में उसकी हालत में काफी सुधार आ गया।

इस बार,शिव बीमार था और कोई बाजार जाकर इतना सामान न ला पाता,पर वन्या ने घर से ही सब मैनेज करके उसे स्वस्थ कर दिया। एक दिन जब वन्या,शिव के सिर में तेल मालिश कर रही थी तो उसने वन्या के हाथ चूम लिए:"तुम कितनी अच्छी हो,मेरी किसी ज्यादती का बुरा नहीं मानती,आई लव यू.. "

वन्या मुस्कराने लगी,"अच्छा ये तो बताओ,आपको पेड़ पौधों से इतनी एलर्जी क्यों थी?"

शिव ने आंखे नीची कर लीं और धीरे से बोला:"तुम हँसोगी तो नहीं...?"

वन्या:बताओ भी अब..

शिव:"एक बार बचपन में ,मुझे कुछ फूलों से एलर्जी हो गई थी तो डॉक्टर ने मुझे मना किया था बस तभी से..."

वन्या वायदा कर चुकी थी कि उसपर नहीं हंसेगी तो उसे वादा तो निभाना ही था।



Rate this content
Log in