रोनित की याददाश्त
रोनित की याददाश्त
रोनित रेलवे विभाग में काम करता थाI बहुत ही मेहनती, रोज काम से निकलता और रात तक घर आ जाता I इसी तरह दिन गुजर रहे थे I
एक शाम वह जल्दी घर के लिए निकला तभी अचानक उसकी गाड़ी का एक्सिडेंट हो गयाI राहगीरों ने जब रोनित को सड़क पर लहूलुहान पड़ा देखा तो उसे झटपट से पास के अस्पताल ले ग I वहाँ रोनित की जान तो बच गई लेकिन होश आने पर पता चला की वह अपने जीवन के अंतिम वर्ष को भूल चुका हैI उसकी याददाश्त जा चुकी थी। वह 30 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहा, इधर घर वालों का रो-रोकर बुरा हाल था। इस बीच रोनित के मुंह से निकले 2 शब्दों ने उसे घर पहुंचा दिया।
घर के सभी लोग रोनित को देखकर बहुत खुश हुएI माँ ने तो गले लगा लिया और जोर –जोर से रोने लग I कहाँ चले गए थे तुम रोनित कुछ बताया नहीं, रोनित के साथ एक व्यक्ति और था जिसे रोनित को अस्पताल पहुँचाया था I उस व्यक्ति ने कहा –“मांजी इनका एक भयानक एक्सीडेंट हो गया था, और ३० दिन तक ये अस्पताल में ही थाI ”
घर के लोगों ने उस व्यक्ति को बहुत –बहुत धन्यवाद दिया I व्यक्ति अपने घर की ओर निकल गया I
इधर रोनित को घर पर सब कुछ बदला हुआ नजर आ रहा थाI
तभी सीमा रोनित के गले लिपटकर रोने लगती हैI रोनित को कुछ समझ नहीं आता और कहता है –तुम कौन हो ?
माँ, सीमा और घर के सभी सदस्य उसकी बात सुनकर चौक जाते हैं I
सीमा रोनित से कहती है –रोनित मैं तुम्हारी पत्नी हूँ तुम मुझे क्यों नहीं पहचान पा रहे हो ? क्या हुआ है तुमको ?
रोनित बिना कुछ बोले अपने कमरे में चला जाता हैI कमरे मैं कैलेंडर की तारीख देखता है पूरा एक साल आगे –ये कैसे हुआ ? मुझे क्या हुआ था ? मुझे कुछ याद क्यों नहीं आ रहा ?
रोनित इसी उधेड़ –बुन में लगा था I
अगले दिन वह ठान लेता है कि वह अपने अंतिम वर्ष को याद करने के लिए अपने कदम फिर वापस लेगा वह यहाँ इस हालत में कैसे ?
रोनित एक्सीडेंट वाली जगह पर जाता है सब लोगों से पूछताछ करता है कुछ धुंधली यादें उसके आँखों के सामने आने लगीI
उस शाम रोनित जल्दी घर निकला था I मौसम बहुत ख़राब था I रास्ते में अंधेरा ही अँधेरा थाI अभी गाड़ी कुछ दूर ही पहुंची थी I तभी सामने एक व्यक्ति आ गया उसको बचाने के चक्कर में रोनित की गाड़ी एक दूसरी गाड़ी से टकरा गई I ....
रोनित को सब याद आने लगा था I धीरे –धीरे उसकी सब यादें वापस आ गई I वह सीमा को भी पहचान गया था जिससे एक वर्ष पहले ही शादी हुई थी ....