बरसात की वो काली रात
बरसात की वो काली रात
रोहित और सुषमा की शादी को अभी दो माह ही हुए हैंI रोहित की माँ की तबीयत खराब होने के कारण दोनों कहीं बाहर घूमने नहीं जा पाए। सुषमा का बड़ा मन था कि वह कहीं बाहर जाकर अकेले समय बिताये।
आज रविवार है ,और माँ भी पहले से बेहतर हैंI कल से ही पूरा दिन हल्की बारिश हो रही थीI सुषमा ने सोचा आज हल्की बारिश है तो कहीं घूम आऐं। ये तो बहुत अच्छा हुआ अभी थोड़ी देर पहले ही बारिश भी बंद हो गई। बहुत ही खूबसूरत हवा बहने लगी। अब तो हमें बाहर जाने से कोई नहीं रोक सकता। रोहित और सुषमा बाहर घूमने के लिए तैयार होने लगे। तभी सासु माँ ने आवाज लगाई आज मौसम ठीक नहीं लग रहा घर पर ही रहना। सुषमा ने जाते -जाते आवाज़ दी मम्मी आज मौसम बहुत अच्छा हैI आप हमारी चिंता न करेंI हम जल्दी ही वापस आ जाऐंगे।
रोहित ने अपनी गाड़ी निकाली और दोनों निकल पड़े। रोहित और सुषमा जब वापस आ रहे थे तभी बीच सड़क पर गाड़ी खराब हो गई। रोहित और सुषमा ने धक्का लगाकर गाड़ी को सड़क के एक तरफ़ कियाI तभी तेज हवा की सरसराहट कानों को सुनाई पड़ने लगीI अचानक खराब मौसम ने उनको घेर लियाI दिन में ही अंधेरा- सा होने लगा। दूर- दूर तक कोई मदद के लिए नहीं दिख रहा था। हल्की- हल्की बारिश भी होने लगी। गीली सड़क पर हल्की सी रोशनी भी नजर नहीं आ रही थी। बारिश की बौछार बहुत तेज़ हो गई। तेज हवा बहने लगी। हवा की आवाज से मन घबराने लगा। सासु माँ की बातें याद आने लगी उन्होंने हमें मना किया थाI तूफान इतना ज़्यादा कि कुछ समय के लिए उनकी आँखों के आगे अंधकार छा गया।
रोहित-सुषमा मैं आगे बढ़कर देखता हूँ कहीं कोई गैराज मिल जाएI तुम गाड़ी में ही रहना बाहर मत निकलनाI
सुषमा- रोहित मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूँ, मुझे बहुत डर लग रहा हैI
रोहित- अरे बाबा मैं यूँ गया और यूँ आया। और गाड़ी यहाँ छोड़ भी तो नहीं जा सकतेI
सुषमा- रोहित जल्दी आना।
रोहित खाली सड़क पर इधर उधर बहुत दूर तक देखता है ,पर दूर दूर तक न कोई दुकान न कोई इंसान ही नजर आया।
रोहित वापस सुषमा के पास जाने लगता है। पर ये क्या उस जगह न सुषमा है और न ही गाड़ीI रोहित घबरा जाता हैI शायद मैं रास्ता भटक गया। रोहित सुषमा, सुषमा आवाज लगाता है, पर कोई उत्तर नहींI तभी आंखों के आगे अंधेरा छाने लगता हैI रोहित कुछ समझ पाता वह तेज तूफान में ऐसा घिरा की स्वयं को एक गहरे जंगल में पाता है। बारिश इतनी तेज पहले कभी न देखी। इतनी तेज बारिश के कारण सामने का कुछ नजर नहीं आ रहा थाI
मन को समझाने वाला उत्तर नहीं कोई मिल रहा,
आज एकाकीपन में दुर्बल ये मन मेरा भटक रहा।
सुषमा को ढूंढते हुए वह आगे निकल गया I सामने ज़मीन पर एक मैनहोल जैसा ढक्कन दिखाई दिया । बारिश से बचने के लिए रोहित उसे खोलकर नीचे चले जाता है । मैनहोल में एक लंबी सी सुरंग दिखाई देती है। सामने से हल्की- हल्की रौशनी नजर आ रही थी। रोहित को उम्मीद की किरण नजर आती है। उसे लगा शायद यहाँ कोई मदद के लिए मिल जाएI
असमय गहन लगा पूनम के चांद को अमावस घिर आई है,
दूर हो गए दो प्यार करने वाले, ये कैसी बदरा यहाँ छाई है।
रोहित सुरंग की तरफ बढ़ने लगता है। तभी वहाँ का दृश्य रोहित को अचंभित कर देता है। पूरी सुरंग कंकालों से भरी पड़ी है, केवल मानव कंकाल । वह जितना आगे बढ़ता रहा बस मानव कंकाल ही नजर आ रहे थे। रह- रहकर मन में डर सताने लगा। सुषमा ठीक तो होगीI न जाने क्यों मन में अजीब -अजीब ख्याल आने लगे। सुषमा का अभी तक कुछ पता नहीं चल पा रहा था और ये कंकाल देखकर तो दिल बैठा जा रहा हैI रोहित वापस उसी तरफ़ भागने लगता है जहाँ से आया था। पर ये क्या अब उसे वो मैनहोल का ढक्कन भी नज़र नहीं आ रहा था। रोहित घबरा के इधर -उधर भागने लगता हैI रोहित की सांस फूलने लगती हैI तभी रोहित धड़ाम से एक कंकाल पर गिर पड़ता हैI कंकाल के पास ही सुषमा की अंगूठी देखकर रोहित चीख पड़ता हैI रोहित जोर- जोर से सुषमा- सुषमा चिल्लाने लगा। तभी सुषमा रोहित को उठाते हुए कहती है, रोहित क्या हुआ क्यों चिल्ला रहे हो? रोहित की आवाज सुनकर माँ भी अपने कमरे से आ गई। रोहित घबराकर बिस्तर से उठता है और सुषमा को गले लगा लेता हैI सुषमा और माँ को समझ गए कि रोहित ने जरूर कोई डरावना सपना देखा है।
डरावनी पदचापों की ध्वनि मन में सुनाई दे रही थी,
मौत की आहट देहरी पर ही क्यों दिखाई दे रही थी।