महेश का पहला प्यार
महेश का पहला प्यार
गीता 17 साल की थी, 12वीं कक्षा में पढ़ती थीI इकनॉमिक की कोचिंग के लिए सहेलियों के साथ आया -जाया करती थीI गीता पढ़ाई के साथ-साथ घर के सारे काम करती थीI महेश गीता का दूर के रिश्ते में भाई था I घर में आया- जाया करता था I महेश किसी कंपनी में काम करता था I
महेश बहुत अच्छी बातें करता था गीता और महेश एक अच्छे दोस्त की तरह बातें करते I गीता तो महेश को भैया बुलाती थी I लेकिन महेश कभी भी गीता को अपनी बहन नहीं समझता था I महेश मन ही मन उससे प्यार करने लग गया I अच्छा पढ़ा- लिखा था और इकोनॉमिक्स तो बहुत ही अच्छी थी उसकी, इसलिए गीता ने महेश से घर पर ही पढ़ना उचित समझाI धीरे-धीरे गीता और महेश एक दूसरे को अच्छी तरह समझने लगे I महेश ने कई बार कोशिश की अपने दिल की बात गीता को बता दें लेकिन नहीं बता पायाI
गीता के परिवार वाले भी महेश की बहुत तारीफ करते थे महेश भी बड़ों का सम्मान करता I गीता के परिवार को जब कभी भी जरूरत पड़ती महेश आगे मदद के लिए खड़ा हो जाता I इधर गीता की परीक्षा नजदीक आ गई और गीता ने 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की I अब घर पर गीता की शादी ब्याह की बातें चलने लगीI
जब इस बारे में महेश को पता चला तो उसने ठान लिया कि वह गीता को अपने मन की बात बता कर रहेगा I
अगले दिन जब महेश शाम को गीता के घर गया I वहाँ लड़के वाले आए हुए थे गीता को देखने के लिए I महेश चुपचाप यह देखता
महेश बहुत परेशान लग रहा था I गीता महेश के पास गई और महेश को देखकर पूछ ही लिया महेश भईया क्या हुआ?
महेश ने चिल्लाकर कहा मैं तुम्हारा भईया -बईया नहीं हूँ I महेश पहली बार गीता पर इस तरह चिल्लाया था I महेश को इस तरह चिल्लाता हुआ देखकर गीता की आंखों में आंसू आ गए I गीता कुछ समझ नहीं पा रही थीI इस घटना के बाद *****
लगभग एक महीने तक महेश गीता के घर नहीं आया I गीता ने कई बार फोन किया पर महेश ने फोन नहीं उठाया I गीता के घर पर रामायण पाठ का आयोजन था I जिसमें गीता के माता- पिता ने महेश को भी बुलाया थाI महेश मना नहीं कर पाया और रामायण वाले दिन गीता के घर पहुंचाI
गीता जब महेश से मिली वह रोने लगी I अब गीता को महेश का आना अच्छा लगने लगा I समय देखकर महेश ने अपने दिल की बात गीता को बता दी I
गीता कुछ कह ना सकी जबकि गीता भी मन ही मन उसे प्यार करने लगी थीI महेश ने कहा-"गीता अगर तुम हाँ करोगी तो मैं तुम्हारे मम्मी- पापा से बात करूंगा I गीता कभी इस बात की हिम्मत ही नहीं जुटा पाई I
आखिरकार एक दिन गीता का रिश्ता तय हो गया और शादी भी हो गई I पर महेश आज भी गीता को उतना ही प्यार करता है जितना पहले करता थाI
दिल से की थी तमन्ना मांग में तेरे सिंदूर सजाऊँ,
बारात लेकर आऊँ और तुझे अपने घर ले जाऊँI
गीता की शादी से पहले ही महेश अपने गाँव चला गया I उसने काफी साल तक गीता से कोई बात नहीं की I
कहते हैं दुनिया गोल है तभी तो हम किसी न किसी से किसी मोड़ पर जरूर मिल जाते हैं I
करीब 10 साल बाद गीता और महेश फेसबुक पर मिले दोनों में आपस में बातें हुई I गीता को पता चला महेश ने अभी तक शादी नहीं की है, क्योंकि वह अभी भी उसी से प्यार करता है I गीता ने महेश को समझाया , शादी के लिए मनाया कहा उसे भूल जाए और शादी कर ले I गीता ,महेश का पहला प्यार था और रहेगा वह उसे भूलकर भी भूल नहीं सकता I
आज भी इस तरह खयालों में सिमट जाती है,
जैसे बारिश की बूंदें मन को मेरे भीगो जाती हैI