Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

रंगरेज

रंगरेज

2 mins
793


रंगरेज की दुकान के सामने डोरी पर रंग-बिरंगे कपड़े फैले हुये थे। रंगरेज और उसका बेटा दोनों अपने काम में लगे हुये थे। एक लड़की उम्र कोई पंद्रह सोलह साल की काफी देर से दोनों को देख रही थी, तभी फुर्सत पा कर रंगरेज का बेटा जो अट्ठारह बीस साल का होगा गबरू जवान था आकर ज्यों ही रंग भरे पतीले के पास आ कर मूढे पर बैठा कि लड़की पास आई और बोल पड़ी-

“रंगरेज ओ रंगरेज ये मेरी चुनरी रंग दोगे।“

“कौन से रंग मे रंगनी है जरा यह तो बताओ।“

“अब कैसे बताऊँ कि मुझे प्रीत के रंग मे रंगानी है और चुनरी रंगाना तो एक बहाना है।” यह सोचते हुये वह लड़की अपलप युवक रंगरेज को देखने लगी।

हाथ मे चुनरी ले कर युवक ने जो लड़की को देखा तो बस देखता ही रह गया। नैन मिले आँखें चार हुई और यह सिलसिला चल निकला। अब वह लड़की अक्सर वहाँ जाने लगी। कभी कुछ तो कभी कुछ रंगवाने के बहाने।

अब एसी बातें मुहल्लों मे कहाँ छिपती है। लड़का मुसलमान और लड़की हिन्दू। समाज ऐसी शादी कैसे होने देता। पिता ने झटपट अपनी जात बिरादरी का एक लड़का ढूँढ कर अपनी बेटी की शादी वहाँ करवा दी।

पर समय की चाल कोई नहीं समझ पाया, साल भर बाद ही बेटी विधवा हो गयी और ससुराल वालों ने घर से निकाल दिया।

समय बीता ,बरस बीते, अब भी वही रंगरेज की दुकान थी और वही बाप बेटा वहाँ अपने काम मे लगे हुये थे। सफेद साड़ी मे एक स्त्री आज फिर से दुकान पर खड़ी थी और चुपचाप रंगरेज को देख रही थी कि तभी वह युवक रंगरेज सामने आया और उस स्त्री से बोला- "मैं तुम्हारी साड़ी प्रीत रंग मे रंग दूँगा बोलो रंगाओगी।"

स्त्री ने लजा कर आँखें झुका ली।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance