Ira Johri

Inspirational

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Ira Johri

Inspirational

चाहत

चाहत

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 बेटा बहू दोनों दिन भर लैपटाप में व्यस्त। मैं अकेली सहायिका संग बच्चा संभालूँ या फिर घर की खाली दीवारों को देख मन बहलाऊँ। कोई नहीं जिससे चन्द बातें कर मन हल्का कर सकूँ।

हर वक्त लोगों से घिरी कभी फुर्सत के कुछ पल अपने लिये ईश्वर से माँगने वाली मैं आज अकेलेपन से घबरा कुछ पल अपने साथ बिताने के लिये सबसे कहने की खातिर कमर कस मोबाइल से मन बहला रही थी कि घन घना घन की अजीब सी आवाज़ से चौंक उठी ।मोबाइल के संदेश पर नज़र पड़ी तो देखा यह क्या अचानक ही बैंक एकाउंट में धनवर्षा होनी लगी वह भी थोड़ी नहीं बहुत सारी। मैं एकदम से चौंक उठी।

हमारे चेहरे के बदलते भाव देख सामने से आ उसने पूछा "क्या हुआ।"

हमनें अपना मोबाइल उसे दिखाया।

वो उत्साह के साथ बोली "हमारी पहली तनखाह आपको समर्पित ।"

"हमें क्यों ।" हमनें आश्चर्य से पूछा।

"आपकी वजह से ही तो सब सम्भव हो पा रहा है।"

"पर तुम तो... हमसे ...."आगे की बात मन में ही रह गयी।

हमारा मन पढ़ वह आगे कहने लगी "पहले पता नहीं क्यों हमें आपकी हर बात गलत लगती थी पर जब नौकरी के कारण घर से बाहर निकलना शुरू हुआ तो दूसरों के किस्से सुन लगा किस्से कहानियों वाली खड़ूस सास नहीं हैं आप।"

"आप बहुत अच्छी हैं। हमारी नौकरी आपकी ही वजह से सुचारु रूप से चल पा रही है।फिर दिल किया कि इस पहली तनखाह पर तो आपका ही हक बनता है माँ। " यह कहते हुए हमारे गलबहियाँ डाल वह मुस्कुराने लगी। और हमें लगा जैसे कि हमारी बेटी पाने की बरसों की दबी हुई चाहत आज पूरी हो गयी हो। हमनें भी तब झट उसे अपनें हृदय से लगा लिया।



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