STORYMIRROR

Ira Johri

Abstract

4  

Ira Johri

Abstract

जस मति तस गति

जस मति तस गति

1 min
217

"घर में कुछ खाने को नहीं और बाहर कोई काम मिल नहीं रहा। ऐसे तो हम भूख से ही बेमौत असमय ही मर जायेंगे। "

"ऐसा करें क्यों न हम वापस अपनें गाँव वाले घर चलें ।वहाँ कम से कम हमारे अपनें हमें भूख से मरने तो नहीं देंगे।" कहते हुये अतीत का परिदृश्य मानस पटल पर चित्रित हो गया। जब शहर की चकाचौंध से प्रभावित हो गाँव का सादा जीवन त्याग पलायन कर शहर की ओर कदम बढ़ाये थे।

फिर कुछ सोचते हुए कहा "पर हम इसी लिये तो वहाँ से यहाँ आये थे कि वहाँ हम उस वक्त बहुत दयनीय दशा में जी रहे थे।"

"सही है पर यह सोंचो वहाँ जी तो रहे थे। सच तो यह है कि जितनी मेहनत यहाँ की उतनी ही या उससे कम मेहनत में भी हम वहाँ अच्छी तरह जीवनयापन कर सकते थे।"

"सही कह रहे हो एक समय हम ऊपरी चकाचौंध से आकर्षित हो वहाँ से पलायन कर यहाँ आये थे और देखो आज वही कनक की चमक हमें दो वक्त की रोटी भी नहीं दे पा रही। हमारी गलतियों का परिणाम हमारे साथ आज हमारी सन्तान को भी भुगतना पड़ रहा है। बस अब और नहीं। आ अब लौट चलें। "

"हाँ आओ लौट चलें। जस मति तस गति।"


સામગ્રીને રેટ આપો
લોગિન

Similar hindi story from Abstract