Ira Johri

Others

4.0  

Ira Johri

Others

संस्मरण माँ के साथ बीती बातें

संस्मरण माँ के साथ बीती बातें

3 mins
153


माँ के साथ बीती बातें, आदतें या घटनाओं की पुनरावृत्ति का एहसास


जहाँ तक बच्चों और हमारे जीवन की बीती बातों आदतों और घटनाओं की पुनरावृत्ति की बात है तो बता दूँ मेरा और मेरे बच्चों का बचपन बहुत ही भिन्न परिस्थितियों में गुज़रा है। जहाँ हमारे मायके में सब खिलंदड़ी स्वभाव के रहे हैं वहीं ससुराल में हर कदम अनुशासित रखना पड़ता था। बच्चे तो जब जहाँ रहते वैसी ही परिस्थितियों में ढल जाते ।पर जब भी बाबा के घर शैतानी करते हमको यही सुनना पड़ता "माँ पर गये हैं ।हमारा राकेश तो बहुत सीधा है।"

हमारे बच्चे बचपन में छोटी छोटी शैतानियाँ करते थे अब बड़ी बड़ी करते हैं ।और रही हमारे जैसी तो हमें लगता है वो हमसे ज्यादा ही करते हैं फिर भी सब उनका ही पक्ष ले कर आज भी हमें ही डांट देते हैं ।अब तो बच्चे हमारा खुले आम मज़ाक भी उड़ाने लगे हैं देखो सबके सामने तुम हमसे कुछ कह नहीं सकतीं। सच तो यह है कि सभी के लाड़ले हैं वो।

माँ यानी बच्चों की नानी के सामने तो मुझे अक्सर ही सुनना पड़ता है कि तुम बच्चों से क्यों आशा करती हो तुम भी तो इस उम्र में हमारी नहीं सुनती थीं अपने मन का करतीं थीं।

बहुत सोचने पर भी मुझे कोई घटना याद नहीं आ रही जिसकी बच्चों ने पुनरावृत्ति की हो। हमारे बच्चे बाबा दादी के साथ कड़े अनुशासन के मध्य पले बढ़े और हाँ बहुत सोचने पर याद आया कि हम बाजार से हमेशा रोते हुए ही घर लौटते थे हमारे मन की कुछ चीजें हमेशा रह ही जातीं थीं ।ऐसा हमारे छुटके के साथ भी होता रहा है जब तक वह बच्चा था। अब वो दोनों ही हमारी हर ख्वाहिश पूरी करने में लगे रहते हैं । 


हाँ तो याद आ ही गया वह वाकया जो हमारे बेटे ने हमारे साथ दोहराया।

हमारे दोनों बच्चों में दो वर्ष का अन्तर है एक बार किसी काम में व्यस्त रहते हुये बड़े बेटे को एक गिलास दूध दिया फिर बेध्यानी में भूल वश दोबारा भी उसी को दे दिया। मजे की बात उसनें पी भी लिया। थोड़ी देर में छुटका आ कर बोला "मुझे भी दूध दो न।" मैं बोली "अभी तो दिया था ।"

तब बड़ा बेटा पास आ कर उछलते हुये हंस कर कहने लगा "तुमने दोनों बार हमें ही दूध दे दिया ।"

तो हमने कहा "ठीक है हमने गलती से दे दिया पर तुमने पी कैसे लिया।" बोला "हमें अच्छा लगता है पी लिया।" अब क्या कहती। यह वाकया जब माँ को सुनाया तो हंसते हुए बोलीं "ये दूध पी के बच्चे हैं ऐसे तो होगे ही तुम भी दिन भर दूध पीने के लिये सबके पीछे गिलास लेकर दूध पी कह कर पड़ी रहतीं थीं ।"

अब मैं आगे क्या कहती सभी हंस रहे थे।

सच तो यह है उनकी आदतें व बातों को देख अक्सर ही लगता है कि वो हमारी परछाईं हैं। हलांकि बच्चे  कहते हैं तुम बिलकुल नानी जैसी हो ।तभी हम पलट कर कह देते हैं और तुम लोग हमारे जैसे ।बस हम सब फिर हंसने लगते है ।



Rate this content
Log in