बदलाव
बदलाव
नीलिमा सोच रही थी लोग सिर्फ मॉर्डन होने की बात करते हैं लेकिन जब बात खुद की घर की औरतों पर आती है तो वही रवैया रहता है।
बाहर से आने पर थके होने पर भी खाना बनाओ, हज़ार खामियां निकाली जाती है ये ठीक नहीं है वो ठीक नहीं है, कभी जो आवाज देकर बुलाये तो लगता अब क्या गलती हो गयी विवाह लिव इन अब बोझ लगने लगा है खाना बनाओ चड्डी बियान सुखाओ बस यही औकात है क्या
बिल्कुल नही लड़को के साथ वफादार रहनबेवक़ूफ़ी है क्योंकि ये तो खुद वफादार नही रहते लात मारते हैं औरत को उनकी गुलामी मैं करूँ नमुमकिन अब कभी उस नरक में नही जाऊंगी
ब्याह करके लाये थे पर लगता है दासी चाहिए उन्हें मैं नीची जाति की हूं तो क्या उनकी गुलामी करूँमेरे बच्चे कल को मुझे देख कर क्या कहेंगे हमारी मां की तो कोई इज्जत नही है
नहीं मैं ऐसे घर में अब नही रह सकती अकेले रहूंगी बच्चों को जात पात के बवंडर से दूर रखूंगी और उन्हें एक अच्छी दुनिया दूंगी।
