हिंदी मीडियम
हिंदी मीडियम


आज फिर रजनीश एक अंग्रेजी कॉन्वेंट स्कूल का फॉर्म ले आया था अपने बेटे के लिये, रजनीश का बेटा चार वर्ष का हो चला था उसने जिद पकड़ ली थी बेटे को पढ़ाऊंगा तो अंग्रेजी मीडियम में ही।
वहीं पत्नी मेघा का कहना था रजनीश आप सुनते क्यों नहीं क्यों फिर से आज कॉन्वेंट का फॉर्म ले आये हिंदी मीडियम भी तो अच्छा होता है हम अपने बेटे को हिंदी मीडियम में ही डालेंगे।
रजनीश चिल्लाकर बोला पागल हो गयी हो क्या हिंदी मीडियम में डाल कर बेटे को बेरोजगार बनाना चाहती हो।
मेघा ने कहा क्यों आप भी तो हिंदी मीडियम में पढ़े हो नौकरी तो आप भी कर रहे हो न।
रजनीश बोला मेरे वक्त की बात और थी आजकल तो सिर्फ अंग्रेजी मीडियम वालों को नौकरी मिलती है सम्मान मिलता है सोसाइटी में इज्जत मिलती है।
पर रजनीश अंग्रेजी मीडियम में नैतिकता नहीं सिखाई जाती बुजुर्गो से बात करना कैसे परिवार के बुजुर्गों का ख्याल रखना ये सदाचार उसे हिंदी मीडियम में ही मिल सकते हैं मेघा ने कहा।
रजनीश बोला प्रैक्टिकल बनो आजकल पैसा ही सब कुछ है मैं अपने बेटे को अंग्रेजी मीडियम में ही पढ़ाऊंगा ताकि वह ऊंचे पद की जॉब करके रुपये कमा सके।
मेघा तो हार गयी उसे समझाकर।
अगले दिन रजनीश जब ऑफिस से लौटा तो बहुत मायूस था, उसने मेघा का हाथ थामा और भावुक होकर कहा मेघा आई एम सॉरी में गलत था हम अपने बेटे को हिंदी मीडियम में ही डालेंगे।
अचानक से ऐसा परिवर्तन मेघा ने कहा हुआ क्या रजनीश
वह बोला मेघा मेरे ऑफिस में मेरा एक कलीग है वह भी इंगलिश मीडियम का पढ़ा है, आज उसकी माता जी का मेरे पास फोन आया था वे बोली बेटा रजनीश, रोहित हो तो बात कराना, मैंने कहा जी आंटी जी पर क्या हुआ क्या वो आपका फोन नहीं उठाता, वे बोली नहीं बेटे जब से वृद्धाश्रम में छोड़कर मुझे गया है मुझसे बात ही नहीं करता ।
मेघा मैं उनसे आगे कुछ कह ही नहीं पाया एक बेटा वो भी ऐसा नहीं नहीं बिल्कुल नहीं करियर चाहे जैसा भी हो भले कम कमाए लेकिन इंसान अच्छा बने मेरा बेटा वही प्राथमिकता होगी मेरी।
मेघा की आंखों में अश्रु आ गए एवं वे दोनों चल पड़े हिंदी मीडियम स्कूल में अपने बेटे का एडमिशन कराने अच्छे करियर या पैसे के लिये नहीं बल्कि एक अच्छा इंसान बनाने के लिये, एक ऐसा इंसान जिसमें इंसानियत हो जो इंसानों के सर पर इज्जत का ताज रखे।