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Kajal Manek

Abstract

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Kajal Manek

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देवी पूजा

देवी पूजा

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तीन वर्ष हो चुके थे नवीन और अर्चना की शादी को इन तीन वर्षों में जाने अर्चना कितनी बार परेशान रही है। वजह बस यही थी की नवीन आज भी अपने कॉलेज लाइफ की गर्लफ्रेंडस से फोन पर बात करता और वीकेंड्स पर उनसे मिलने जाता।

 अर्चना को यह बात जरा भी पसंद नहीं थी वह हमेशा नवीन से यही कहती कि अब तो विवाह हो चुका है कम से कम अब तो उनसे बात मत करो, पहले की बात और थी लेकिन अब मैं हूं तुम्हारे जीवन में तो अब उन लोगों से बातें करना या मिलना यह ठीक नहीं है और नवीन हमेशा उसे डांट कर चुप कर देता कि तुझे उससे क्या तेरे तो पूरे फर्ज निभा रहा हूं ना, तेरा पूरा खर्चा उठा रहा हूं तेरी सारी मांगे पूरी कर रहा हूं, तुझे अपनी तनख्वाह का हिस्सा ला करके देता हूं ।उसके बाद मैं अपनी पर्सनल लाइफ में जो भी करूं तुझे उससे क्या नवीन कहता कि मैं तो तुमसे कभी प्यार ही नहीं करता था, लेकिन अरेंज मैरिज की वजह से और घर वालों के दबाव की वजह से मुझे तुमसे शादी मजबूरी में करनी पड़ी। अब निभा तो रहा हूं ना तुम्हारे लिए खर्च तो कर ही रहा हूं। इसके अतिरिक्त मुझसे कोई भी उम्मीदें मत करना ।

मेरी लाइफ अलग है मेरी लाइफ में मेरी जो दोस्त है उनसे मिलना उनके साथ वक्त बिताना मुझे अच्छा लगता है और यह मैं जारी रखूंगा।

अर्चना सोच मे पड़ गयी क्या पैसे देना ही पति का कर्तव्य है इसके अतिरिक्त कुछ नही ।

उसे लगा पति का काम यह भी है कि पत्नी को प्रेम दे, सम्मान दे ,आदर दे वक्त दे पर वह कुछ भी अर्चना को नहीं मिल रहा था ।उसे लगता शायद उसका पूरा जीवन ऐसे ही बीतेगा।

 एक बार फिर वह रोते-रोते किचन में गई खाना बनाने।

 अगले दिन स्नान दान अमावस्या थी अर्चना की सासू मां ने कहा कि हमे कल गरीबों को दान देने जाना है, अर्चना ने कहा ठीक है।

 उसके अगले दिन से नवरात्रि थी अर्चना की सासू मां ने माहौल घर में ऐसा बनाया था कि सारे व्यक्ति माताजी की पूजा करते थे एवं उपवास 9 दिन का रखते थे हर साल से अर्चना यह देखते आ रही थी इस बार फिर से नवरात्रि आई और नवीन ने भी उपवास रखा और 9 दिन उपवास रखना बड़े ही श्रद्धा के साथ माताजी के पैर पड़ता बड़े ही श्रद्धा से घर में माता जी की स्थापना करता सजावट करता और कन्या भोज के दिन कन्याओं को दान दक्षिणा देता ।

अर्चना सोच में पड़ गई की अपनी पत्नी को यूं रुला कर माता जी की आराधना करना क्या माताजी उस आराधना को स्वीकार करेंगी अर्चना में बचपन में पढ़ा था जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं, तो क्या अर्चना नारी नहीं अर्चना को आंसू देने के बाद देवता की पूजा करना कैसे देवता प्रसन्न होंगे और वह यही सोच जा रही थी और नवीन नवरात्रि की पूजा की तैयारी में व्यस्त हो चुका था वह देवी माता की पूजा की तैयारी कर रहा था और वही उसकी पत्नी अर्चना अपनी आंखों में अश्रु लिए रसोई घर में जाकर काम करने लगी।


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