धरती हमसे पूछ रही हैं
धरती हमसे पूछ रही हैं
धरती हमसे पूछ रही है-
"कब तक मैं सूखी पड़ी रहूँ।"
धरती हमसे पूछ रही है-
"थोड़ी बहुत तो बरसात कराओ।"
धरती हमसे पूछ रही है-
"ऐसे यूँ गन्दगी न फैलाओ।"
धरती हमसे पूछ रही है-
"इधर-ऊधर थूकते न जाओ।"
धरती हमसे पूछ रही है-
"कुछ अलग-सा संसार बनाओ।"