ए मेरे दोस्त
ए मेरे दोस्त
चाहे जैसा भी हूँ मैं, जुड़ा है तू मुझ से,
खुद को नहीं कर पाऊंगा अब अलग तुझ से।
साथ होंगे हम जब तक आखरी सांस है।
ज़िंदगी जीना सीखा है तुझसे, अब तुझ पे ख़त्म मेरी तलाश है।
तू मेरी हिम्मत और तू ही मेरी ताकत है।
तू ही अब जहाँ सारा, तू ही मेरी रियासत है।
मेरे रोम रोम में अब तू खुद को पायेगा।
दिन में एक बार ही सही, पर रोज़ाना तेरा ख़याल आयेगा।
मैं खुद से इतना वाकिफ़ नहीं जितना तू मुझे जानता है।
मेरी हर एक नब्ज़ को तू अच्छे से पहचानता है।
पता है होगा तू, जब मुझे लगेगी तेरी ज़रूरत है।
तू लगता जैसे अब बन गया मेरी आदत है।
साथ नहीं जिस पल तू मेरे, उस पल से मुझे शिक़ायत है।
ज़िंदगी लग रही है सपने सी और तू बन गया जैसे हकीक़त है।
