तेरे बगैर जिंदगी मेरी उदास है
तेरे बगैर जिंदगी मेरी उदास है
तेरे बगैर जिंदगी मेरी उदास है
इतने बड़े जहान में तू ही तो खास है।
सहमा हुआ सा आजकल है हर बशर यहाँ
तू जो नहीं है पास तो लगता है डर यहाँ
कोई नहीं है फिर भी मन में एक आस है।
सिमटी हुई है याद भी तेरे ख्याल में
आ जाओगे चुपके से तुम मेरे ख्याल में
निकलेगा चांद ' पूर्णिमा' को विश्वास है।
तर्ज: मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया।