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नविता यादव

Romance

4.9  

नविता यादव

Romance

भिगे हम भिगे तुम

भिगे हम भिगे तुम

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340


आज रिमझिम बारिश की बौछार मेरे तन को

भिगोने लगी

ठंडी-ठंडी फुहार मेरे मन को भिगोने लगी

ऐसे में उनकी याद मेरी अखियों को भिगोने लगी।।

मस्त मतवाला बहका सा मौसम है,

उस पर उनके आने की खबर सजाती स्वपन है,

मीठे-मीठे से एहसास है, भिगे-भिगे से जज्बात है

दिल में अरमान है, होठों में पैगाम है

उनसे मिलने के लिये बेकरार हम हैं।।


दूर बादलों में एक गर्जन सी हुई,

बिजली की चमक देख एक हलचल सी हुई,

ऐसा लगा मानो मेरा हमदम भी आ गया

मेरे दिल के द्वारे एक दस्तक सी हुई।।

कुछ पल के लिये धडकनें थम सी गयी

उनका दिदार कर आँखे छलक सी गयी

बाहर भी बारिश है,अंदर भी बारिश है

दोनों बारिशों के बीच उमड़ती चाहतें हैं

अब वो है और हम है,

उस पर भीगा-भीगा मौसम है


कुछ अनकहे से पल है,कुछ अनसुने से हम है,

कुछ संभले -संभले से वो है,

कुछ खोये-खोये से हम है, कुछ-कुछ

उधर है,

कुछ-कुछ इधर है

इस कुछ-कुछ में बारिश में तेज़ी सुनाती

संगीत मधुर है।।

कहना वो भी कुछ चाह रहे है,

कहना हम भी कुछ चाह रहे है

यही सोच-सोच कर मंद -मंद दोनों मुस्कुरा रहे है

एक अलग ही एहसास है एक अलग ही कसक है

कौन पहल,पहले करे यही दिल के अंदर जद्दोजहद है ,


मौसम भी पूरे यौवन में है, बरखा रानी भी झूम के नाच रही है,

भिगी-भिगी पतियाँ भी चमक उठी है

आस पास जल तरंगे बह रही हैं ,

भिनी-भिनी सी खुशबू से धरती महक रही है,

कागज़ की कश्तियाँ भी हिलोरे ले रही हैं,

सब कुछ अपने हिसाब से चल रहा है

और हम दोनों वही आँगन में बैठे-बैठे

कौन बात पहले करे,यही सोच-सोच कर

आँखों ही आँखों में सब कुछ कहे जा रहे है।।

बारिश के बीच, नैनो की बारिश में अपने एहसासों को

बिन कहे एक-दूसरे को भली प्रकार समझा पा रहे हैं

पर जुबां पर लाने से अभी भी घबरा रहे है।।



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