मोहब्बत का नशा
मोहब्बत का नशा
ज़िंदगी में दो नशे अच्छे और बुरे होते हैं
एक- ज़िंदगी जीने का नशा
दूसरा- ज़िंदगी न जीने का नशा
तीसरा जो हो तो उसकी अभी ख़बर नहीं।
लेकिन मौत इन दोनों नशों
को अंजाम तक पहुंचा देती है
फिर सवाल बचा यह कि
मौत इन दोनों नशों से बड़ी हुई ?
जवाब रहा यह कि -नहीं
मोहब्बत से भला बड़ा कौन !
मोहब्बत से बड़ा नशा क्या !
जिसको न मालूम वो जान ले
और जो करेगा...वो सीधे उस नशे के
समंदर में गिरेगा जो नसीब वालों को ही
को नसीब होता है और वह यही कहती/कहता है
यह नशा ताउम्र न उतरे !

