एक पाती तेरे प्यार की....
एक पाती तेरे प्यार की....
बहुत अरसे के बाद,
आज उनका खत आया !
आँखों में चंचल बूँदों का,
सैलाब क्यूँ उमड़ आया !!
मुद्दतों से कर रही थी,
मै जिस पल का इंतजार !
आज वह पल है मेरे सामने,
तेरी यादों का सरमाया है !!
पन्नों में भिनी खुशबू तेरी,
मदहोश कर रही धीरे-धीरे !
क्या मेरे लिए तेरे जज्बात,
उस चांद ने लिखवाया है !!
चांदनी में डूबकर नहाई,
ओस की बूँदों सी अलसाई !
मेरी यादों की नम छुअन ने,
क्या तुझको भी जलाया है !!
भेजा होगा तुमने मुझे,
गहरा सुर्ख लाल गुलाब !
रची होंगी लब से तेरे,
सितारों ने बतलाया है !!
तेरी महकती सांसो का पता,
जरूर इसमें लिखा होगा !
छू ही लूंगी मैं तुम्हें आज,
मन जाने क्यूँ भरमाया है !!
एक पाती तेरे प्यार की,
मन का मोर नाच रहा !
सजा लूंगी तेरी सिहरन,
दिल के कोने में सनम !!
पूछा मैंने हाल तुम्हारा,
खत में तुमसे मेरे साजन !
छेड़ रही हैं मेरी सखियाँ,
क्या लिक्खा तुमने बालम !!
खोला मैंने बंद लिफाफा,
अंदर कोरा कागज है !
बिन मेरे तुम कैसे हो,
तुमने लिख दिया प्रीतम !!
कुछ न लिखकर तुमने,
मन का दरपन भेजा है !
सूने मन का सूना जीवन,
हाल सारा लिक्खा है !!
डूब रही हूँ असुंवन में,
दिल मेरा वश में ही नहीं !
इतना प्यार समेटूं कैसे,
सोच रही हूँ मैं प्रियतम !!