बात और जज्बात
बात और जज्बात
कुछ लोग बता रहे थे कि उसने,
हमें बातों ही बातों में याद किया है।
जज्बातों में मर गए तो क्या हुआ,
खुशी है कि कम से कम उसने,
हमें बातों में तो याद किया है।
शुरू हुई थी मुलाकात हमारी,
कुछ खास जज्बातों के साथ।
ना बात रहे ना जज्बात रहे,
आखिर कुछ भी ना आया हाथ।
दिल को दुखाती हैं बातें सारी,
अब बीती बातों में क्यों रहना।
हालात ही बदल गए जब,
अब कहना तो क्या कहना।
तुझे तेरी ज़िंदगी मुबारक,
यहीं हमारी दिल की दुआ है,
फासले तो कब के आ चुके थे,
पर हमें आज महसूस हुआ है।
तड़प थी सिर्फ चाहने की पर,
उसने मुंह को मोड़ लिया।
जज्बातों को उसने आखिर,
बातों बातों में तोड़ दिया।