सच्ची श्रद्धांजली
सच्ची श्रद्धांजली
क्या अनुमान लगाऊँ
उस माँ के नुकसान का
जिसका बेटा कल शहीद हो गया।
उस पत्नी के सौभाग्य का
जो कल तक ब्याहता थी
आज हर श्रृंगार खो गया।
उस पुत्र के आस का
जो कल तक पिता की बाट जोहता था
आज फुटकर रो गया।
उस देश के सम्मान का
जो गर्व से खुद को भारतीय कहता था
आज चुपचाप हो गया।
वो चला गया वो वीर
जो कल तक तैनात था
आज तिरंगे में लिपटा
गुमनाम सो गया।
हम थे व्यस्त अपने नित कर्मो में
अपनी व्यथा,अपने जश्नों में
वो देश का लाल हमें
आखिरी सलाम कह गया।
आओ,आज वक़्त है
एक-दूजे की सहायता का
मिलकर दे जवाब,
दरिंदो की कायरता का।
कब तक सहेंगे मौन हो कर
आओ अब अपनी चुप्पी तोड़े
जिन हैवानों ने ये कुकर्म किया
चलो उनकी गर्दन मरोड़े।
बस मौन होकर प्रार्थना कर
ना दे वीरो को श्रद्धांजली
आओ आज भारत माँ को
चढ़ाए दुश्मनों की बलि
यही होगी सच्ची भेंट
यही होगी सच्ची श्रद्धांजली।