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Mani Aggarwal

Drama

5.0  

Mani Aggarwal

Drama

वक्त

वक्त

1 min
147


कदम जिसने भी साथ वक्त के मिलाया है,

उनको इसने हमेशा मंजिल पर पहुँचाया है,

जिसने भी कद्र की नहीं इसकी यारों,

बाद जाने के इसके वो बड़ा पछताया है।


ये मेहरबान हो तो दुनिया संवर जाती है,

इसकी नाराज़गी हर खुशी छीन जाती है,

इसकी चालों का कोई पार न पा पाया है,

घड़ी में राजा औ रंक का तख्त इसने पलटाया है।


गुरूर तोड़ कर औकात बता देता है,

ये आदमीं को उसकी जात बता देता है,

हर कदम देता है एक सीख नई हर एक को,

गर्त में अपने इसने क्या-क्या नहीं छुपाया है।


पलट के आता नहीं जिन्दगी में दोबारा,

वो उबर पाता नहीं जिसको वक्त नें मारा,

राज इसका हर एक शय यहाँ गुलाम इसकी,

वक्त की ताकत ने हर एक को समझाया है।


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