मेरे पहला प्यार हो तुम
मेरे पहला प्यार हो तुम
क्या पहले दिन की बातें याद है
पलक झपकती मुलाक़ातें याद है।
मैं घबराया हुआ सा रहता था
तुमसे मिलने को रोज़ कहता था।
क्या वो रिमझिम बरसातें याद है
क्या हथेली परअब भी बूंदों का साथ है।
मैं इंतज़ार में तेरे चुप-चुप सा रहता था
तुम सामने आओ पर कुछ न कहता था।
क्या सोच में मेरी और मुड़ना याद है
क्या अब भी दिल में वही जज़्बात है।
जो दिल में लिए सपने, मैं नीदें भरता था
सुबह तुमसे ही मिलने को जगा करता था।
क्या अब भी आँखों में कमी मेरी रहती है
याद आये तो नमी की परत भी बहती है।
उस वक़्त भी मैं तुमसे ना कह पाया था
मेरा पहला प्यार हो तुम, कैसे तुमने जताया था।
क्या आज भी तन्हाई मुझ बिन खलती है
क्या मिलने को मुझसे राहें खुद ही चलती है।
मैं इंतज़ार में तेरे अब भी बैठा रहता हूँ
आते-जाते सबको एक बात कहता हूँ।
तुम ही तो हो जिसे मैं
मेरा पहला प्यार कहता हूँ।