जाने कैसे
जाने कैसे
उनकी कुछ बातें जहन में आज भी है,
प्यार के नाम की सौगातें याद भी है।
कभी वह जान देने तक को तैयार थे,
जो बिछड़े हैं वह अपने ही यार थे।
कभी आंखों में एक सपना सजाया,
तो कभी हमें पलकों पर बिठाया था।
वो यादों में मौजूद थे इस कदर कि,
नामौजूदगी में उनका ही साया था।
तन्हाई का वह पल कभी याद नहीं,
जो अपने थे वह आज रहे साथ नहीं।
कभी उंगली पकड़कर साथ चलते थे,
अब बंद मुठ्ठी के बाद हाथ छुड़ाते हैं।
बीते हुए वो पल अब भी याद आते हैं।
आज वो भी यहीं है हम भी यहीं है,
मुलाकात ना होने का गम भी यही है।
कभी वो याद करें तो मैं याद करूं,
वो फरियाद करे तो मैं बात करूं।
ना जाने कैसे कैसे ख्याल आते हैं,
पर सच है कि सब बदल जाते हैं।
जाने कैसे सब कुछ पीछे छूट गया,
जाने कैसे चाहने वाला भी रूठ गया।