जिज्ञासा
जिज्ञासा
ये जीवन हैं जिज्ञासाओं से भरा
जैसे समुद्र हैं अथाह रहस्यों से भरा
जब छोटा बच्चा आता दुनिया में
उसे होती जिज्ञासा,
माँ के गर्भ में था सूकून,
यहाँ हैं कितनी चकाचौंध
जब आता बालपन
सब चिंताओं से दूर
बस नये खेल और
किताबों की जिज्ञासा।
जब आती युवावस्था
आया चिंताओं का बोझ
नौकरी ,पैसा और
जीवन साथी की जिज्ञासा।
अब आया बुढ़ापा
साथ लेकर अकेलेपन का कोहरा
अपने से ज्यादा बच्चों की चिंता
जो किये कर्म उनके हिसाब की जिज्ञासा।
कभी खत्म नहीं होती जिज्ञासा
ये हीं बनती नये आविष्कार की गाथा
पूरा पाषाण काल से इक्कीसवीं सदी
में लाने वाली ही हमारी जिज्ञासा।।