ज़िन्दगी की कहानी मेरी है अजब
ज़िन्दगी की कहानी मेरी है अजब
ज़िन्दगी की कहानी मेरी है अजब,
मुझसे मिलके, वो कैसे जुदा हो गई।
हाथ पकड़ा था उसने मुलाकात पर,
जब गले मैं मिला, वो ख़फा हो गई।
इश्क, चाहत की वो बात करती रही,
जब मिलन दिल हुआ इंतहा हो गई।
जीने मरने की कसमें वो खाता रहा,
जब हुई दीद, हसरत रवां हो गई।
चांदनी रात भर वो मेरे साथ थी,
जब सुबह कल हुई वो विदा हो गई।
सादगी हुस्न उसकी क़यामत सी थी,
मेरी चाहत पे हमदम फिदा हो गई।
दिल इबादत मोहब्बत में जैसे किया,
फिर सनम फितरत बेवफा हो गई।
मैं ना भूला कसम ना वफ़ा यार का,
दिल की धड़कन सनम बिन जाया हो गई।
आज भी तेरा मंज़र जिगर दिल में है,
दिल से मंज़र मोहब्बत ब्यान हो गई।