दुआ
दुआ
ये मेरे आशिक
तू बना जो शायर
मेरे इश्क में
तो भी तेरी कोइ ख़ता नहीं
क्यूंकि इश्क ही है
खुद में मुकम्मल शायरी।
ये मेरे आशिक
तू गाये भी जिंदगी के तराने
मेरी मोहब्बत में
तो भी तेरी कोई गुस्ताख़ी नहीं
क्यूंकि मोहब्बत ही है
खुद में मुक्कमल तराना।
ये मेरे आशिक,
तू लिखे जो कोई गज़ल
मेरी हसरत में
तो भी तेरा कोई कुसूर नहीं
क्यूंकि दिदार ही दिलबर का है
खुद में एक गुनाह।
ये मेरे आशिक
तेरी हर ख़ता
तेरी हर गुस्ताख़ी
तेरा हर कुसूर
माफ है मेरी नज़रों में
क्यूंकि तू दुआ है
मेरे इबादद की...