माफ हो जाये।
माफ हो जाये।
समंदर की लहरें
और दिल की धड़कन
ना जाने कब,
तेज हो जाये।
इश्क करने का गुनाह
गर हो जाये हमसे,
तो ऐ जमाने
माफ हो जाये।
समुंदर की गहराई
भला माप सका है कोइ,
तो हम भला
दिल की करवट
कैसे जान जाये
आये जो वो
मेहमाँ बन कर,
कैसे इनकार कर पाये।
रूतं चले जब,
बहार खिले जब,
मौसम बदले जब,
हम कैसे अनछुये रहे
इस हलचल से, और
इश्क करने का गुनाह
गर हो जाये हमसे,
तो ऐ जमाने
माफ हो जाये।