मेरी बेटी
मेरी बेटी
जब उठती है, सो कर,
जाग उठता है, सारा घर,
साथ-साथ उसके,
पूरी जीवन्तता के साथ।
नरम धूप ,
उतर आती है, छत पर,
आंगन में ,
फैल जाता है, पुखराजी प्रकाश।
हवाएं ठुमक कर,
गाने लगती हैं, प्रभाती(गीत)
जब हंसती है, मेरी बेटी,
हँस उठते हैं।
क्यारी में लगे ,
फूल सूरजमुखी के,
निखर उठती है,
हरियाली दूब की
चहचहाने लगती है,
चिड़ियाँ,
फुदक-फुदक कर
ठुमकने लगती है,
गिलहरी ...।