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RockShayar Irfan

Drama

4  

RockShayar Irfan

Drama

यही ख़़ता हर बार हो जाती हैं

यही ख़़ता हर बार हो जाती हैं

1 min
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आंसुओं को छुपाने की

हर कोशिश बेकार हो जाती हैं

बेचैनियां जिस वक्त

मेरे सिर पे सवार हो जाती हैं


लाख मनाओ इस दिल को,

दिल है ये माने कहां

दिल को मनाने की ज़िद में

ज़िंदगी मज़ार हो जाती है


बहुत वक़्त दिया मैंने,

खुद को भी और उसको भी

फिर भी हर बार

मेरी तन्हाई से तकरार हो जाती है


कोई क़लम से वार करता है,

तो कोई सितम बेशुमार करता है

एक ख़बर में सिमटकर

ये ज़िंदगी अख़बार हो जाती है


वैसे तो वैसा कोई मिला नहीं,

जैसा मुझको मिला कभी

दिख जाए गर कोई वैसा

तो ये आँखें बेक़रार हो जाती हैं


किसी से दिल मिलता नहीं,

किसी से दिल भरता नहीं

पता नहीं क्यों मुझसे

यही खता हर बार हो जाती है


एक अलविदा कहने में

ये ज़ुबान बेज़ुबान हो जाती है

जो अलविदा कह दे कोई

तो ज़िंदगी इंतज़ार हो जाती है...।


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