किसकी गलती
किसकी गलती
एक बार...
पुनः मानवता कलंकित हुई
नराधमों के कुकृत्य से
पुरुषत्व पुनः लज्जित हुआ
इंसान रूपी हैवानो से।
पूछ रहा...
स्त्री क्या कोई वस्तु है?
उपभोग किया फिर जला दिया
निर्भया पुनः दोहरा कर
तुमने जड़ चेतन हिला दिया।
हैवानियत की सीमा चरम
हवसी अधर्मी कुकर्मी अधम
आई न तुझे तनिक भी शर्म
भूल गया मानवता का मर्म।
दोषी को फाँसी होगी
कुछ दिन फिर चर्चा होगी
राजनीति फिर गर्म होगी
वाद-विवाद भी खूब जमेगी।
उसी बीच...
आंकड़ो खा खेल होगा
यह स्वर भी मुखर होगा
की...
देश में स्त्री असुरक्षा है
मै कहता हूँ नहीं...
यहाँ पुरूष ही हवस का भूखा है।