Mohanjeet Kukreja

Romance

4.9  

Mohanjeet Kukreja

Romance

शिकायत

शिकायत

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कोई सफ़ाई पर्याप्त नहीं

बहाने, दलीलें रहने दो…

अपनी किसी मजबूरी का

तुम आज वास्ता ना दो,


रोने से कुछ नहीं होगा-

तुम बस एक काम करो,

मेरे ख़त मेरे प्यार समेत...

शहर के चौराहे पे टाँग दो,


ताकि कोई ना किसी को…

ख़त लिखने का जुर्म करे;

और ना किसी को किसी से

भूले से भी फिर प्यार हो…!


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