शिकायत
शिकायत
कोई सफ़ाई पर्याप्त नहीं
बहाने, दलीलें रहने दो…
अपनी किसी मजबूरी का
तुम आज वास्ता ना दो,
रोने से कुछ नहीं होगा-
तुम बस एक काम करो,
मेरे ख़त मेरे प्यार समेत...
शहर के चौराहे पे टाँग दो,
ताकि कोई ना किसी को…
ख़त लिखने का जुर्म करे;
और ना किसी को किसी से
भूले से भी फिर प्यार हो…!